7 कांग्रेस सांसदों की सदस्यता पर तलवार
लोकसभा : प्रदर्शन की जांच होगी, बिरला की अध्यक्षता में कमेटी का गठन

नई दिल्ली.
लोकसभा से निलंबित हुए कांग्रेस के 7 सांसदों की सदस्यता पर तलवार लटक गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है, जो लोकसभा में हुए हंगामे की जांच करेगा। यदि जांच में सांसदों का आचरण ठीक नहीं मिला तो उन्हें लोकसभा सदस्य से अयोग्य ठहराया जा सकता है। वहीं पांचवें दिन भी लोकसभा में गतिरोध जारी रहा और हंगामे के बीच दो विधेयक पारित हुए। लोकसभा में दिल्ïली हिंसा पर चर्चा कराने और कांग्रेस के 7 सांसदों को निलंबित करने के विरोध में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने शुक्रवार को सदन शुरू होते ही हंगामा कर दिया। इसके चलते एक मिनट में ही सदन को स्थगित करना पड़ा। इससे पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस सांसदों के साथ संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि 2 मार्च से 5 मार्च तक सदन में घटित सभी घटनाओं की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसकी अध्यक्षता खुद स्पीकर करेंगे। कमेटी में सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सोनिया-राहुल को गाली देने वालों का कुछ नहीं होता-चौधरी
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में 7 सांसदों के निलंबन को गलत बताया। उन्होंने इस पर कहा कि जेबकतरों को फांसी तो नहीं दी जाती। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग सांसद में हमारे में नेताओं को गाली देते हैं तो कुछ नहीं होता। जबकि हम विरोध करते हैं तो हम पर कार्रवाई की जाती है। सांसदों के निलंबन का आधार हमें नहीं बताया गया है। इसके वीडियो फुटेज मौजूद है।
मोदी-शाह पर अनाप.शनाप बोलने वालों का आपने कुछ नहीं किया.जोशी
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने चौधरी को जवाब देते हुए कहा कि लोकसभा में सांसद की कांग्रेस नेताओं पर टिप्पणी को आसन पर मौजूद सभापति ने तत्काल कार्यवाही से बाहर कर दिया गया। वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर अनाप-शनाप बोलते रहते हैंए लेकिन कांग्रेस उन पर कुछ कार्रवाई नहीं करती है।
टीएमसी का मिला कांग्रेस को साथ
सात सांसदों के निलंबन को गलत बताने वालों में कांग्रेस को एनसीपी, डीएमके के साथ टीएमसी का भी साथ मिला। टीएमसी के सांसद सुधीप बंधोपाध्याय ने कहा कि इस तरह के घटनाक्रम संसद में कई बार हो चुके हैं, लेकिन इतनी कड़ी सजा कभी नहीं दी गई है।
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