खैर, राजनीति तो है ही। इसी वजह से अगली महाभारत से पहले भाजपा ने अपने सिपहसालार बदले हैं। नई रणनीति तैयार की है। अब यही सिपहसालार सही निशाना लगाएंगे और अपने जौहर से क्या गुल खिलाएंगे ये तो वक्त बताएगा। फिलहाल हम आपको सात बिंदुओ के माध्यम से भाजपा की नई रणनीति को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
लिंगायत को साधने की कोशिश: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से येडियूरप्पा नाराज चल रहे थे। राज्य में 18 प्रतिशत लिंगायत समुदाय को साधने की कोशिश में येडियूरप्पा को एंट्री मिली है।
नॉर्थ ईस्ट पर ध्यान: इसी तरह केंद्रीय मंत्री सर्बानंद के जरिए पार्टी ने उत्तर.पूर्वी राज्यों को साधने की कोशिश की है। क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कवायद के तहत इन्हें शामिल किया गया है।
दक्षिण को संदेश: येडियूरप्पा के अतिरिक्तए ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष और सांसद के लक्ष्मण को एंट्री देकर पार्टी ने दक्षिण और खासकर चुनावी राज्य तेलंगाना को संदेश देने की कोशिश की है।
महाराष्ट्र का इनाम: महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़कर सरकार बनाने और पार्टी के आदेश पर डिप्टी सीएम की कुर्सी मंजूर करने वाले देवेंद्र फडणवीस को केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्यता का पार्टी ने इनाम दिया है।
राजस्थान का दबदबा: राजस्थान के भूपेंद्र यादव और ओम माथुर को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति में जगह मिली है। राजस्थान में अगले वर्ष चुनाव भी होने हैं। ऐसे में दोनों चेहरों की एंट्री महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।
पहली बार सिख को एंट्री: बीजेपी के संसदीय बोर्ड में पहली बार सिख चेहरे इकबाल सिंह लालपुरा को एंट्री मिली है। इकबाल सिंह को केंद्रीय चुनाव समिति में भी जगह मिली है।
बिहार का खमियाजा: शाहनवाज हुसैन को दोहरा झटका लगा है। एक तरह बिहार में गठबंधन टूटने पर मंत्री पद चला गयाए वहीं केंद्रीय चुनाव समिति में अल्पसंख्यक कोटे से मिली जगह भी शाहनवाज को गंवानी पड़ी है।