खरीद तंत्र मजबूत हो: न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए। राजस्थान में किसानों की स्थाई तंत्र विकसित करने की मांग रही है।
ऋण राहत आयोग: ऋण माफी के बाद अब ऋण राहत आयोग के प्रभावी होने की उम्मीद है। वर्तमान व पूर्व सरकार इसकी घोषणा कर चुकी है, लेकिन अभी तक आयोग अपने अस्तित्व में नहीं आया है।
आमदनी बढ़ाने के उपाय: किसानों की आमदनी बढ़ाने का भाजपा के गत शासन में वादा किया गया था। हालांकि अभी तक आमदनी में आशा अनुरूप बढ़ोत्तरी नहींं हुई। अब किसानों को उम्मीद है कि राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को समझने वाले नेता मंत्री बने हैं तो वे आमदनी बढ़ाने के दिशा में काम करेंगे।
कृषि विज्ञान केन्द्र : बदहाली दूर हो। अभी इनके हालात
खराब हैं, जबकि किसानों के लिए यह बेहद जरूरी है। किसानों इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की 205 परियोजनाओं में पहले की तरह केन्द्रीय शामिल हो।
इंफ्रास्ट्रक्चर: प्रदेश में ऑटोमोबाइल समेत विभिन्न खनिजों से जुड़े उद्योग स्थापित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी है। पिछड़े क्षेत्रों में ऐसे उद्योग लगाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर निवेश का माहौल बने।
बिजली दर: समान करवाना। क्योंकि, अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में उद्योगों को मिलने वाली बिजली की दर अपेक्षाकृत अधिक है। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए दरों को कम कराने की दिशा में काम करना।
एनसीआर को बढ़ावा देना : राज्य के कई बड़े औद्योगिक क्षेत्र दिल्ली एनसीआर में आते हैं, जहां बड़ी संख्या में लैंड बैंक भी मौजूद हैं। देश और विदेश की कई ऑटोमोबाइल कंपनियों ने यहां निवेश की इच्छा भी जताई है।
किसानों को राहत: जोखिम भरी खेती करने वाले किसानों को राहत मिले। प्रदेश के किसानों को सबसे अधिक जोखिम का अंदेशा रहता है। समर्थन मूल्य पर खरीद, बीमा योजना व अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं में प्रदेश के हालात के मुताबिक बदलाव की लगातार मांग उठती रही है।
इस्टर्न कैनाल परियोजना : 13 जिलों में पेयजल एवं सिंचाई की समस्याएं दूर हो सकती हैं। 40 हजार करोड़ की परियोजना की डीपीआर केन्द्रीय जल आयोग के पास है। जयपुर समेत प्रदेश के 13 जिलें शामिल हैं।
ब्राह्मणी-बनास परियोजा : ब्राह्मणी नदी के व्यर्थ बहने वाले पानी से बीसलपुर भरने की 6 हजार करोड़ की योजना की डीपीआर तैयार है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की आपत्ति को दूर करना है।
ताजेवाला हैड : 20 हजार करोड़ की परियोजना के तहत ताजेवाला हैड पर आवंटित 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी शेखावाटी पहुंचाने के लिए तंत्र बनाने की जरूरत।
साबरमती बेसिन: अतिरिक्त पानी जवाई बांध लाना। इस पर 6 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का आकलन। डीपीआर बनाने का कार्य चल रहा है।
पूर्वी राज.नहर परियोजना : इंदिरा गांधी नहर परियोजना व नर्मदा नहर पर आधारित पेयजल परियोजनाओं के लिए केन्द्र से 25 हजार 111 करोड़ की सहायता की जरूरत