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देश दुनिया में अपनी एेतिहासिक विरासत की पहचान रखने वाला जोधपुर, थार रेगिस्तान के किनारे बसा हुआ है जिसे सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर जिले के मंडावा गांव में फिल्में ही नहीं बल्कि यहां एल्बम, विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। असल में निर्माता-निर्देशकों को यहां का परिवेश और स्थानीयता सूट कर जाती है, इसलिए यहां रोल, कैमरा, एक्शन की वॉइस सुनाई देना आम बात हो गई है। शूटिंग के चलते यहां गांव की अर्थव्यवस्था में उछाल बना रहता है। लोगों को रोजगार मिलता है। एक बार की शूटिंग से ही लगभग 30 से 35 करोड़ रुपए की आय हो जाती है। इसमें फिल्म यूनिट के रुकने व शूटिंग का खर्च मिलाकर स्थानीय अभिनेताओं का मेहनताना भी शिरकत है।
देश दुनिया में अपनी एेतिहासिक विरासत की पहचान रखने वाला जोधपुर, थार रेगिस्तान के किनारे बसा हुआ है जिसे सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर जिले के मंडावा गांव में फिल्में ही नहीं बल्कि यहां एल्बम, विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। असल में निर्माता-निर्देशकों को यहां का परिवेश और स्थानीयता सूट कर जाती है, इसलिए यहां रोल, कैमरा, एक्शन की वॉइस सुनाई देना आम बात हो गई है। शूटिंग के चलते यहां गांव की अर्थव्यवस्था में उछाल बना रहता है। लोगों को रोजगार मिलता है। एक बार की शूटिंग से ही लगभग 30 से 35 करोड़ रुपए की आय हो जाती है। इसमें फिल्म यूनिट के रुकने व शूटिंग का खर्च मिलाकर स्थानीय अभिनेताओं का मेहनताना भी शिरकत है।
सिनेमा पर्यटन के रूप में भी जाना जाता है…
जोधपुर जिले का मंडावा गांव अब सिनेमा पर्यटन के रूप में भी जाना जाता है। गांव में शूटिंग के चलते यहां बेरोजगारी नहीं है। गांव वालों को फिल्म की शूटिंग के दौरान कोई ना कोई काम मिल ही जाता है। इस गांव में पहली शूटिंग 1980 में मूवी ‘गुलामी’ की हुई थी। तत्पश्चात से सिलसिला थमा नहीं है। अनुमान लगाया जाता है कि, यहां अभी तक लगभग डेढ़ से 2 हज़ार फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
जोधपुर जिले का मंडावा गांव अब सिनेमा पर्यटन के रूप में भी जाना जाता है। गांव में शूटिंग के चलते यहां बेरोजगारी नहीं है। गांव वालों को फिल्म की शूटिंग के दौरान कोई ना कोई काम मिल ही जाता है। इस गांव में पहली शूटिंग 1980 में मूवी ‘गुलामी’ की हुई थी। तत्पश्चात से सिलसिला थमा नहीं है। अनुमान लगाया जाता है कि, यहां अभी तक लगभग डेढ़ से 2 हज़ार फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
शूटिंग के लिए ऐसी लोकेशन परफेक्ट मानी जाती है…
रंग-बिरंगे परिधान में सजे लोग और उनकी मनमोहक लोक-नृत्य व संगीत इस शहर की समां में चार-चांद लगा देते हैं। यह राजस्थान के बीचोबीच स्थित है, इसलिए इसे राजस्थान का दिल भी कहा जाता है। यहां पुरातन हवेलियां अपने भव्य एवं सुंदर स्वरूप में मौजूद हैं। शूटिंग के लिए ऐसी लोकेशन परफेक्ट मानी जाती है। इस तरह मुगलकाल की सिविलाइज़ेशन के निशान यहां अब तक मौजूद हैं, जो शूट किए जाते हैं।
रंग-बिरंगे परिधान में सजे लोग और उनकी मनमोहक लोक-नृत्य व संगीत इस शहर की समां में चार-चांद लगा देते हैं। यह राजस्थान के बीचोबीच स्थित है, इसलिए इसे राजस्थान का दिल भी कहा जाता है। यहां पुरातन हवेलियां अपने भव्य एवं सुंदर स्वरूप में मौजूद हैं। शूटिंग के लिए ऐसी लोकेशन परफेक्ट मानी जाती है। इस तरह मुगलकाल की सिविलाइज़ेशन के निशान यहां अब तक मौजूद हैं, जो शूट किए जाते हैं।
जोधपुर कैसे और कब जाएं…
जोधपुर शहर से 5 किमी. की दूरी पर घरेलू हवाई अड्डा है. यह शहर दिल्ली से साथ-साथ प्रमुख शहरों से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है. जोधपुर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का महीना माना जाता है. जोधपुर और उसके आसपास के स्थान सुकून से देखने के लिए कम से कम 3-5 दिन का समय जरूर रखें.
जोधपुर शहर से 5 किमी. की दूरी पर घरेलू हवाई अड्डा है. यह शहर दिल्ली से साथ-साथ प्रमुख शहरों से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है. जोधपुर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का महीना माना जाता है. जोधपुर और उसके आसपास के स्थान सुकून से देखने के लिए कम से कम 3-5 दिन का समय जरूर रखें.
जोधपुर पहुंचने के बाद… स्वाद और शॉपिंग का स्वाद लेना न भूलें
जोधपुर पहुंचने के बाद आप लोकल फूड का स्वाद लेना न भूलें. यहां का मिर्च बड़ा, समोसा , मावा कचौड़ी, प्याज की कचौड़ी, दाल-बाटी कोरमा, लाल मानस, गट्टे की सब्जी और मखनिया लस्सी सहित कई व्यंजन फूड लवर्स को लुभाते हैं. अगर बात शॉपिंग की करें, तो क्लॉक टावर के आसपास वाले मार्केट में खरीदारी कर सकते हैं. इसके अलावा, त्रिपोलिया बाजार, मोची बाजार, नई सड़क सोजाती गेट, स्टेशन रोड प्रमुख हैं.
जोधपुर पहुंचने के बाद आप लोकल फूड का स्वाद लेना न भूलें. यहां का मिर्च बड़ा, समोसा , मावा कचौड़ी, प्याज की कचौड़ी, दाल-बाटी कोरमा, लाल मानस, गट्टे की सब्जी और मखनिया लस्सी सहित कई व्यंजन फूड लवर्स को लुभाते हैं. अगर बात शॉपिंग की करें, तो क्लॉक टावर के आसपास वाले मार्केट में खरीदारी कर सकते हैं. इसके अलावा, त्रिपोलिया बाजार, मोची बाजार, नई सड़क सोजाती गेट, स्टेशन रोड प्रमुख हैं.