संयुक्त किसान मोर्चा ने महिला किसान दिवस मनाया
शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर 86वें दिन भी जारी रहा आंदोलन
संयुक्त किसान मोर्चा ने महिला किसान दिवस मनाया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को सयुंक्त किसान मोर्चा महिला किसान दिवस के रूप में मना रहा है। आज मंच और आमसभा पूर्णत: महिलाओं के नाम रहा। आमसभा को संबोधित करते हुए महिला किसानों ने कहा कि आज के दौर में इंसानी गतिविधियों ने ग्लोबल वॉर्मिंग को जन्म दिया है और जीवों के क़ुदरती आवास को नुक़सान पहुंचाया है। इंसान ने समंदर, मिट्टी और वायुमंडल की रासायनिक बनावट को तब्दील कर दिया है जिसकी वजह से बहुत से जीव धरती से विलुप्त हो गए हैं।
इन हालात में ऐसे आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका और उनकी अहमियत बहुत बढ़ गई है जिनका ताल्लुक़ इंसाफ हासिल करने से हैं। महिलावादी कार्यकर्ता लंबे समय से कहते आये हैं कि दुनिया भर में सामाजिक और पर्यावरण व जलवायु संबंधी इंसाफ़ की लड़ाई महिलाएं ही लड़ेगी। ‘किसान आंदोलन’ में महिलाओं की मौजूदगी इस बात का प्रतीक है, लेकिन, ये लड़ाई बेहद मुश्किल और दर्द भरी रही है और आगे भी रहने वाली है। इसकी वजह ये है कि हमारे समाज में मर्दवादी सोच की जड़े बेहद गहरी हैं। पितृसत्तात्मक सोच ये मानती ही नहीं कि महिलाओं की अपनी भी कोई हस्ती है। किसान आंदोलन में मौजूद महिलाओं को लेकर आ रहे बयान और टिप्पणियां इसी बात का सबूत हैं। आमसभा को मंजुलता, रानी दुग्गल, सुमिता चतुर्वेदी , कुसुम साइवाल, कविता शर्मा, ईशा शर्मा, रचना, आफरीन, राजबाला यादव, विमला डांगी, रामकिशन महलावत, मा. शेर सिंह, राजा राम मील, कुसुम अधिवक्ता, संतोष, रुचि, सुमेर सिंह जेलदार, परवीन, मंजू ओला, सोहनी देवी, रामकुमारी आदि संबोधित किया।