लॉकडाउन से असंगठित क्षेत्र में बिगड़े हालात
40 करोड़ लोगों के गरीबी के गर्त में जाने के खतराराजस्थान में असंगठित क्षेत्र में होंगे हालात बदतर
जयपुर। कोरोना वायरस के असर के चलते पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। इस लॉकडाउन के कारण नौकरी पेशा और व्यापारी दोनों पर ही रोजगार को लेकर संकट पैदा हो गया है। लॉकडाउन के कारण व्यापर ठप हो गए है और खासकर असंगठित क्षेत्र में इसको लेकर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
जानकारी के अनुसार, छोटे और मझौले व्यापारियों जो कि रेहडी या फुटपाथ पर अपना अस्थाई व्यापार कर रहे थे, पिछले दो सप्ताह से बिना रोजगार बैठे हैं। डेली वेजेज पर काम करने वाले लोगों का असर देश की अर्थव्यवस्था के साथ—साथ रोजगार पर भी पड़ रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें बताया गया है कि देश में असंगठित(इनफॉर्मल) क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। इससे उनकी नौकरियों और कमाई पर असर पड़ सकता है जिससे वे गरीबी चक्र में फंस सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन(अईएलओ) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। जेनेवा में जारी आईएलओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनावायरस के कारण असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन के कारण अंसगठित क्षेत्र में काम करनेवाले कामगारों पर ज्यादा असर पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 90 फीसदी लोग इनफॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं। ऐसे में करीब 40 करोड़ कामगारों के रोजगार और कमाई प्रभावित होने की आशंका है। इससे वे गरीबी के दुष्चक्र में फंसते चले जाएंगे।
कामकाजी घंटों पर बुरा असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में मौजूदा लॉकडाउन का इन कामगारों पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। कामकाज बंद होने से उनमें से कई अपने गांवों को लौट गए हैं। आईएलओ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस महामारी से कामकाजी घंटों और कमाई पर प्रभाव पड़ा है। आईएलओ की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों के बारे में बताया गया है और संकट से पार पाने के लिए नीतिगत उपायों का सुझाव दिया गया है।
करीब बीस करोड़ नौकरियों पर संकट
संगठन के मुताबिक, संकट के कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 6.7 फीसदी कामकाजी घंटे खत्म होने की आशंका है। यानी कोरोनावायरस महामारी के कारण केवल दूसरी तिमाही में ही 19.5 करोड़ फुल टाइम जॉब्स खत्म हो सकती है।
रोजगार के मोर्चे पर परेशानी
कोरोना के कहर से आने वाले दिनों में रोजगार के मोर्चे पर बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। सबसे ज्यादा खतरा स्वरोजगार, ठेके पर काम करने वाले लोगों और डेली वेज वर्कर्स को है। रिक्रूटमेंट एजेंसियों के मुताबिक गैर संगठित क्षेत्रों में इसका असर दिखना शुरू हो गया है और अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे तो संगठित क्षेत्र की हायरिंग में 15-20 फीसदी की कमी आ सकती है। बंद पड़े मॉल, खाली दुकानें, होटल, सिनेमा हॉल, स्कूल, कॉलेज सब पर ताला-साफ है कि कोरोना ने लोगों के रोजगार पर डाका डालना शुरू कर दिया है। कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर, छोटे कारोबारियों के पास नौकरी करने वालों का काम बंद हो रहा है। जो खुद का कारोबार कर रहे हैं उनका काम ठप हो रहा है। देश के कुल वर्कफोर्स में करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी गैर संगठित क्षेत्र की है जिसमें आधे सेल्फ एम्पलॉयड हैं। 20 फीसदी हिस्सा डेली वेज वर्कर्स हैं। लेबर यूनियनें मांग कर रही हैं कि सरकार ठेके पर काम करने वाले और डेली वेज वर्कर्स को तुरंत आर्थिक मदद दें।