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सम्पत्तियों की यूनिक प्रॉपर्टी आईडी जनरेट करने में फिसड्डी शहरी निकाय, 35 लाख में से केवल 5.50 लाख ही सम्पत्ति दायरे में

locationजयपुरPublished: Jul 23, 2021 11:34:18 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

अफसरों की लापरवाही के कारण लोग और सरकार दोनों हाईटेक नहीं

सम्पत्तियों की यूनिक प्रॉपर्टी आईडी जनरेट करने में फिसड्डी शहरी निकाय, 35 लाख में से केवल 5.50 लाख ही सम्पत्ति दायरे में

सम्पत्तियों की यूनिक प्रॉपर्टी आईडी जनरेट करने में फिसड्डी शहरी निकाय, 35 लाख में से केवल 5.50 लाख ही सम्पत्ति दायरे में


जयपुर। राजस्थान के शहरी इलाकों की आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों को यूनिक प्रॉपर्टी आईडी से पहचान देने में शहरी निकाय फिसड्डी साबित हो रहे हैं। प्रदेश के एक भी निकाय ने इस संबंध में प्रभावी काम ही नहीं किया, नतीजा जनता से लेकर सरकार की जरूरत धरी रह गई। यूनिक प्रॉपर्टी आईडी से संपत्तियों की पहचान करना तो आसान होगा ही, वहीं नामांतरण और बकाया टैक्स वसूली में भी काफी मदद मिलेगी। लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण 35 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी में से केवल करीब 5.50 लाख ही प्रॉपर्टी इससे जुड़ पाई है। अब सरकार ने निकायों को आंख दिखाते हुए अल्टीमेटम दिया है तत्काल इस पर काम शुरू कर दें जिससे जनता और सरकार दोनों का काम आसान हो सके। इसके तहत राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों के निकायों में संपत्तियों की पहचान में एकरूपता लाने की कवायद तेज कर दी गई है।

ऐसे हो रही संपत्तियों की कोडिंग

संपत्तियों का कोड अंकों में है। पहले दो अंक लोकल गवर्नमेंट डॉयरेक्टरी (राज्य कोड) के हैं। तीन से पांच अंक तक स्थानीय निकाय का कोड हैं। छह से सात अंकों तक स्थानीय निकाय का जोनल कोड और आठ से दस अंकों तक स्थानीय निकाय का वॉर्ड कोड है। इस तरह 11 से 16 अंकों तक संपत्ति का कोड है। R (आर)-आवासीय के लिए, N (एन)- कमर्शियल के लिए और M (एम)-मिश्रित प्रॉपर्टी के लिए निर्धारित है
नामांतरण व टैक्स वसूली में मिलेगी मदद

यूनिक प्रॉपर्टी आईडी से आसानी से उसके मालिक और प्रॉपर्टी के प्रारूप का ब्योरा देखा जा सकेगा। इसके अलावा यूनिक आईडी को संपत्तियों पर निर्धारित टैक्स प्रणाली से भी जोड़ा जाएगा, ताकि उसी से नगरीय विकास कर की मौजूदा स्थिति के बारे में भी जानकारी हासिल की जा सके। वहीं, जनता के लिए उस घर तक पहुंचने में भी आसानी होगी, क्योंकि यूनिक आईडी जीपीएस सिस्टम से भी जुड़ी रहेगी। साथ ही लोग अपने नगरी विकास कर कि स्वयं भी करना कर सकते हैं।

डिजिटाइज ब्योरे से ली जाएगी मदद

निकायों में संपत्तियों का कोड निर्धारित करने के लिए डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है। स्वायत्त शासन विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि डिजिटाइजेशन से सभी संपत्तियों की सूची तैयार कर उसकी कोडिंग करवाई जाए। इसके बाद पोर्टल के जरिए कोडिंग की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू हो।
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