पट्टों का प्रकार——यूडीएच——एलएसजी
कृषि भूमि से संबंधित- 71160 - 89205
कच्ची बस्ती नियमम- 734 - 74693
ईडब्ल्यूएस, एलआईजी- 3734 - 3111
राजकीय, सिवायचक भूमि- 28864 - 37061
स्टेट ग्रांट एक्ट- शून्य - 1060
धारा 69ए के तहत- शून्य - 14572
कृषि भूमि से संबंधित- 71160 - 89205
कच्ची बस्ती नियमम- 734 - 74693
ईडब्ल्यूएस, एलआईजी- 3734 - 3111
राजकीय, सिवायचक भूमि- 28864 - 37061
स्टेट ग्रांट एक्ट- शून्य - 1060
धारा 69ए के तहत- शून्य - 14572
यह है स्थिति
-400066 आवेदन आए पट्टों के लिए
-324194 पट्टे जारी किए गए
-33517 आवेदन अस्वीकृत किए गए
-42355 आवेदन अब भी लंबित
(नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग दोनों की रिपोर्ट। इसमें स्वायत्त शासन विभाग के लंबित व अस्वीकृत प्रकरण ज्यादा हैं)
-400066 आवेदन आए पट्टों के लिए
-324194 पट्टे जारी किए गए
-33517 आवेदन अस्वीकृत किए गए
-42355 आवेदन अब भी लंबित
(नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग दोनों की रिपोर्ट। इसमें स्वायत्त शासन विभाग के लंबित व अस्वीकृत प्रकरण ज्यादा हैं)
इन 7 अफसरों की जिम्मेदारी
1. जी.एस. संधु, सलाहकार, यूडीएच
2. कुंजीलाल मीणा, प्रमुख शासन सचिव, यूडीएच
3. जोगाराम, शासन सचिव, स्वायत्त शासन विभाग
4. हृदेश कुमार शर्मा, निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग
5. आर.के. विजयवर्गीय, मुख्य नगर नियोजक, राजस्थान
6. नवनीत मिश्र, संयुक्त सचिव, नगरीय विकास विभाग
7. अवधेश सिंह, संयुक्त सचिव, यूडीएच
हथकंडे, ताकि लंबित आवेदन गिनती में नहीं आए
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान की समीक्षा को लेकर पिछले दिनों की बैठकें ली। इसमें सामने आया कि कई निकाय पट्टे जारी करने से ही बच रहे हैं। इसके लिए लोगोंं से आवेदन तो ले लिए, लेकिन उनका पोर्टल, आॅनलाइन अपलोड ही नहीं किया। इससे ऐसे आवेदन लंबित की गिनती में भी नहीं आ रहे। ऐसे निकायों के अफसर, सभापति की क्लास ली जाएगी।
1. जी.एस. संधु, सलाहकार, यूडीएच
2. कुंजीलाल मीणा, प्रमुख शासन सचिव, यूडीएच
3. जोगाराम, शासन सचिव, स्वायत्त शासन विभाग
4. हृदेश कुमार शर्मा, निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग
5. आर.के. विजयवर्गीय, मुख्य नगर नियोजक, राजस्थान
6. नवनीत मिश्र, संयुक्त सचिव, नगरीय विकास विभाग
7. अवधेश सिंह, संयुक्त सचिव, यूडीएच
हथकंडे, ताकि लंबित आवेदन गिनती में नहीं आए
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान की समीक्षा को लेकर पिछले दिनों की बैठकें ली। इसमें सामने आया कि कई निकाय पट्टे जारी करने से ही बच रहे हैं। इसके लिए लोगोंं से आवेदन तो ले लिए, लेकिन उनका पोर्टल, आॅनलाइन अपलोड ही नहीं किया। इससे ऐसे आवेदन लंबित की गिनती में भी नहीं आ रहे। ऐसे निकायों के अफसर, सभापति की क्लास ली जाएगी।