राजधानी में 1072 पार्क है। इनमें करीब आधे बड़े पार्क है, जिसमें कई पार्क खेल मैदान बने हुए है। यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। पार्क में खेलने आने वाले बच्चों का तर्क होता है कि आसपास कोई खेल मैदान नहीं है। अब छुट्टियां चल रही है, ऐसे में वे कहां खेलने जाए। जबकि इन पार्कों में रोजाना घूमने आने वाले लोग बच्चों के खेलने से दुखी है। इन लोगों का तर्क है कि पार्कों को सिर्फ हरियारी और घूमने के लिए काम में लिया जाए। जबकि छोटे पार्कों मकानों के बीच होते है, जहां बच्चे खेलने जाते है तो आसपास के लोग इस पर आपत्ति करने लग जाते है। ऐसे में शहर में खेल मैदान बने पार्क एक समस्या बनती जा रही है।
कई पार्कों पर लोगों की ‘मनमर्जी’
शहर के कुछ पार्कों की देखरेख का जिम्मा स्थानीय विकास समितियों या कॉलोनियों की विकास समितियां भी संभाल रही बताते हैं। ऐसे में उन पार्कों में विकास समितियों की मनमर्जी के मामले भी सामने आते है। विकास समिति से जुड़े लोग बच्चों को पार्क में नहीं खेलने देते है। हालांकि दोनों नगर निगमों में नियमानुसार किसी भी विकास समिति या संस्थाओं को पार्क का जिम्मा नहीं दे रखा है।
कहां कितने पार्क
— 855 पार्क है जयपुर ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में (इनमें 600 पार्क छोटे है, जबकि 355 पार्क बड़े पार्क है)
— 217 पार्क है हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में
साधारण सभा में भी उठ चुका मामला
जयपुर ग्रेटर की पिछले दिनों हुई साधारण सभा (बोर्ड बैठक) में भी वार्डों में खेल मैदान नहीं होने की बात उठ चुकी है। बैठक में पार्षदों ने खेल मैदान नहीं होने से पार्क खेल मैदान बने होने की बात कही। हालांकि कुछ पार्षदों ने कुछ पार्कों को खेल मैदान बनाने का सुझाव भी दिया।
सामुदायिक केन्द्र व पार्क बने खेल मैदान
राजधानी में कुछ पार्कों के साथ सामुदायिक केन्द्र खेल मैदान बनते जा रहे हैं, जहां इनदिनों बच्चों के साथ युवा क्रिकेट खेलते नजर आते है। रोजाना सुबह ये पार्क और सामुदायिक केन्द्र खेल मैदान जैसे लगते है। इससे स्थानीय लोग भी परेशान है। राजापार्क स्थित सामुदायिक केन्द्र में न केवल आसपास के बच्चे, बल्कि बाहर से भी लोग क्रिकेट खेलने आ रहे है।