उर्दू के मॉडल पेपर जारी करना भूला बोर्ड
उर्दू के मॉडल पेपर जारी करना भूला बोर्डसैकेंडरी में तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है उर्दूउर्दू भाषी बच्चे कैसे करेंगे बोर्ड परीक्षा की तैयारीउर्दू शिक्षकों में नाराजगीकहा, शिक्षामंत्री और और सरकार कर रही तृतीय भाषा के साथ नाइंसाफी
पहले शाला दर्पण पर उर्दू की पाठ्यपुस्तकों की डिमांड का ऑप्शन बंद कर दिया गया, फिर नवक्रमोन्नत स्कूलों से उर्दू विषय को हटाया गया, उर्दू शिक्षकों के पद समाप्त किए गए और तो और ऑनलाइन पढ़ाई में उर्दू को शामिल नहीं किया गया और अब बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों के लिए उर्दू विषय के मॉडल पेपर ही जारी नहीं किए गए। एक तरफ प्रदेश के शिक्षामंत्री दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में उर्दू भाषी विद्यार्थियों के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा तो दूसरी तरफ बोर्ड परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे उर्दू भाषी विद्यार्थियों के लिए मॉडल पेपर ही जारी नहीं किए गए।
कैसे करेंगे बोर्ड परीक्षा की तैयारी
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सैकेंडरी क्लास में उर्दू तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। कोविड के कारण स्कूल बंद रहे ऐसे में शिक्षा विभाग ने सिलेबस में कटौती किए जाने का निर्णय लिया और बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों के लिए मॉडल पेपर उपलब्ध करवाए जाने का निर्णय भी हुआ। खुद शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने घोषणा की थी कि विद्यार्थियों के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड मॉडल पेपर जारी करेगा जो बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे जिससे बोर्ड के विद्यार्थियों को परीक्षा का पैटर्न समझने में मदद मिल सकेगी। बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर मॉडल पेपर भी अपलोड किए लेकिन उसमें हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान के साथ तृतीय भाषा के रूप में संस्कृत का मॉडल पेपर अपलोड किया गया है। बोर्ड ने उर्दू के मॉडल पेपर अपलोड ही नहीं किए।़ाऐसे में अब इन विद्यार्थियों के सामने परेशानी आ गई है कि वह अपनी परीक्षा की तैयारी कैसे करें।
उर्दू के साथ सौतेला व्यवहार आखिर क्यों
कोविड काल के दौरान स्कूल बंद रहने के कारण स्कूली विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हुई, जिसे दूर करने के लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई। शिक्षा विभाग ने सभी विषयों के ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों को करवाई, यूट्यूब पर वीडियो अपलोड किए गए, दूरदर्शन और रेडियो पर भी बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था में विभाग पूरे साल लगा रहा लेकिन इन सभी में एक बात सामान्य थी और वह थी उर्दू का गायब होना। जी हां, प्रदेश का शिक्षा विभाग ऑनलाइन क्लास में भी उर्दू को भूल गया। ऐसे में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को उम्मीद बंधी भी कि जब बोर्ड मॉडल पेपर जारी करेगा तो पढ़ाई में मदद मिल सकेगी और परीक्षा की तैयारी हो सकेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उर्दू भाषी विद्यार्थियों की आस एक बार फिर टूट गई।
उर्दू शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
ऐसे में अब उर्दू शिक्षक संघ ने इसे लेकर नाराजगी जताई है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा, शिक्षामंत्री और और सरकार तृतीय भाषा के साथ में नाइंसाफी कर रही है। उर्दू, सिंधी और पंजाबी तीनों विषय के मॉडल पेपर जारी नहीं सरकार की मानसिकता को बताता है। इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कायमखानी ने सरकार ने जल्द इन तीनों विषय पेपर जारी किए जाने की मांग की।
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