जयपुर

सरकारी सेवा से क्यों खफा हैं डॉक्टर

Vacancy in Medical Department : प्रदेश में Doctors की Shortage के चलते Hospitals का बुरा हाल हो रहा है। ऐसे में Patients का Timely Treatment हो पाना मुश्किल हो गया है। हाल यह है कि डॉक्टर Government Job में नहीं आना चाहते। उनकी पहली पसंद या तो Private Hospital है और दूसरी पसंद विदेश जाकर नौकरी करना। इसका मुख्य कारण सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को सही Package नहीं मिलना सामने आया है। Health Minister डॉ. रघु शर्मा ने 737 डॉक्टरों ( 737 Doctor Recruitment in Rajasthan ) की भर्ती करने की बात कही है।

जयपुरSep 03, 2019 / 05:33 pm

Anil Chauchan

Doctors

जयपुर Vacancy in Medical Department : प्रदेश में डॉक्टरों ( Doctors ) की कमी ( Shortage ) के चलते अस्पतालों ( Hospitals ) का बुरा हाल हो रहा है। ऐसे में मरीजों ( Patients ) का समय पर उपचार ( Timely Treatment ) हो पाना मुश्किल हो गया है। हाल यह है कि डॉक्टर सरकारी नौकरी ( Government Job ) में नहीं आना चाहते। उनकी पहली पसंद या तो निजी अस्पताल ( Private Hospital ) है और दूसरी पसंद विदेश जाकर नौकरी करना। इसका मुख्य कारण सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को सही पैकेज ( Package ) नहीं मिलना सामने आया है।

एक मरीज डॉक्टर को भगवान समझता है। जब मरीज अपनी बीमारी को दिखाने या फिर कोई सर्जरी कराने के लिए अस्पताल जाता है तो उसे यह विश्वास होता है कि अगर डॉक्टर उसे देख लेगा तो वह जल्दी ठीक हो जाएगा। लेकिन अब अस्पतालों में मरीजों की भरमार और डॉक्टरों की कमी के चलते विपरीत स्थितियां पैदा हो गई है। डॉक्टर चाहकर भी मरीज को उतना समय नहीं दे पाते जितना एक मरीज को मिलना चाहिए। ऐसे में अस्पताल के सभी विभागों में ऑपरेशन की वेटिंग लगतार बढ़ती जा रही है। पैसे वाले मरीज तो निजी अस्पतालों में जाकर अपना उपचार करा लेते हैं लेकिन गरीब मरीज को मजबूरन वेटिंग लिस्ट के मुताबिक अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है।
सरकारी अस्पतालों के हाल…
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी
मरीजों को नहीं मिल पा रहा है समय रहते उपचार
सरकारी अस्पतालों में बढ़ रही है ऑपरेशन की वेटिंग
चिकित्सा मंत्री ने दिए 737 डॉक्टरों की भर्ती के आदेश
दो साल पहले भाजपा सरकार में 1100 डॉक्टरों की भर्ती की, लेकिन इनमें से करीब 500 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार की बात करें तो हाल ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने 737 डॉक्टरों की भर्ती करने की बात कही है। अब देखना यह है कि इन डॉक्टरों में से कितने डॉक्टर सरकारी सेवाओं को ज्वाइन करते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल सहित अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में जहां जूनियर डॉक्टर ज्वाइन नहीं कर रहे हैं वहीं सीनियर डॉक्टर वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ रहे हैं। अधिकतर डॉक्टरों का यही कहना है कि सरकारी नौकरी में काम का भार ज्यादा और पैसा कम है। अस्पतालों की कमान रेजीडेंट डॉक्टरों के हाथों में ज्यादा रहती है। पिछले दिनों एक महिला डॉक्टर के सुसाइड नोट में भी काम का भार ज्यादा होने का उल्लेख किया गया था, जिससे यह साबित हो गया कि डॉक्टरों पर काम का भार और तनाव काफी रहता है।
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