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वसुंधरा सरकार की नाकामी: 7 साल में कच्ची बस्ती पुनर्वास सर्वे रिपोर्ट को क्यों नहीं मिली मंजूरी

locationजयपुरPublished: Aug 20, 2018 12:07:30 pm

Submitted by:

Pawan kumar

— 2011 में हुए सर्वे में राजधानी जयपुर में 176 बस्तियां चिन्हित

cm vasundhara raje

CM vasundhara raje

जयपुर। आमागढ़ कच्ची बस्ती में पहाड़ टूटने से दो जनों की मौत और 7 लोगों के घायल होने की घटना से एक बार फिर ये सवाल उठा है कि राज्य सरकार बार—बार कच्ची बस्तियों के पुनर्वास के दावे करती है, इसके बावजूद अब तक आधा दर्जन बस्तियों का ही पुनर्वास हो पाया है। जबकि शहर में छोटी—बड़ी 176 कच्ची बस्तियां चिन्हित की जा चुकी हैं।
जानकारी के मुताबिक सबसे पहले वर्ष 1999 में जयपुर शहर की कच्ची बस्तियों को चिन्हित करने के लिए सर्वे करवाया गया था। उस सर्वे में चिन्हित बस्तियों को शिफ्ट करने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद वर्ष 2011 में जयपुर में कच्ची बस्ती सर्वे करवाया गया, इसमें 176 कच्ची बस्तियों को चिन्हित किया गया। सात साल बीतने के बाद भी राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में किन कच्ची बस्तियों का पुनर्वास करना है और किस संस्था को करना है, ये तय नहीं हो पाया है। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि 2011 में सर्वे करने वाली याशी कंसल्टेंट फर्म को नगर निगम, जयपुर विकास प्राधिकरण, वन विभाग और जिला प्रशासन के सामने प्रजेंटेशन देना है। लेकिन अब तक इन विभागों ने कंसल्टेंट फर्म के प्रस्तुतिकरण में कोई रूचि नहीं दिखाई है। पहले सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी दिलाने का जिम्मा नगर निगम आयुक्त को दिया गया, लेकिन बाद में इसे जेडीए आयुक्त को दे दिया गया। अब तक ना तो नगर निगम और ना ही जेडीए सर्वे रिपोर्ट को स्वीकृति दे पाया है। इसका नतीजा ये है कि शहर में बसी कच्ची बस्तियों के पुनर्वास को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बन पाई है।
महंगी जमीन से हटाई कच्ची बस्ती, पहाड़ी बस्तियों से दूरी
जेडीए हो या नगर निगम दोनों ही संस्थाओं की नजर महंगी जमीनों पर है। अब तक जवाहर नगर स्थित खड्डा बस्ती और मालवीय नगर स्थित अम्बेडकर बस्ती सहित आधा दर्जन ऐसी कच्ची बस्तियों को हटाया गया है, जिनकी जमीनों की कीमत करोड़ों में है। कच्ची बस्ती हटाकर खाली करवाई गई बस्तियों की जमीनों को करोड़ों में नीलाम करने की तैयारी है। इसके उलट जेडीए और निगम दोनों ही संस्थाएं शहर के बाहरी इलाकों और पहाड़ों पर बसी बस्तियों को हटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। निगम और जेडीए की इसी अनदेखी का नतीजा है आमागढ़ कच्ची बस्ती में हुआ हादसा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार —

आमागढ़ कच्ची बस्ती को हटाने को लेकर प्रशासन की अभी कोई योजना नहीं है। बस्ती जहां पर बसी है वो जगह वन विभाग की है। इस बस्ती को हटाने के संसाधन नगर निगम और जेडीए के पास है। ऐसे में जिला प्रशासन अकेले कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। बस्ती में हादसे के बाद बचाव एवं राहत दल को भेजा गया था।
धारा सिंह मीणा, एडीएम दक्षिण, जयपुर
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