- लोकसभा चुनाव के बाद से राजे राजस्थान की राजनीति में कम ही सक्रिय नजर आई हैं।
- इस दौरान न तो ज्यादा दौरे किए, न ही नेताओं से लगातार मिलीं।
- वर्तमान प्रदेश नेतृत्व और राजे के बीच खिंचाव रह-रहकर सामने आता रहा है। दोनों गुटों में परस्पर खिलाफत के सुर सुने जाते रहे हैं।
- पिछले दिनों कोर ग्रुप की बैठक में भी राजे नहीं पहुंची थीं।
- विधानसभा उपचुनाव सिर पर हैं और आलाकमान ने प्रदेश नेतृत्व को स्पष्ट कहा है कि पार्टी चारों सीटें जीतनी चाहिए लेकिन बड़ा सवाल राजे की सक्रियता का है।
आगे देखें : ऐसे चल रहे एकजुट करने के प्रयास
पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह लगातार राजे के सम्पर्क में हैं और पिछले कुछ दिन से राजे दिल्ली में सक्रिय हैं। शाह से पहले वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी आदि नेताओं से मिल चुकी हैं।
आगे देखें : अब आगे क्या
पार्टी में चर्चा है कि अगली बार राजे जयपुर आएंगी तब सम्भवत: अरुण सिंह उनके साथ होंगे। वह यहां प्रदेश नेतृत्व और राजे के बीच 'सुलह' कराने का प्रयास करेंगे। हालांकि ऐसा कोई अधिकृत कार्यक्रम फिलहाल सामने नहीं आया है।
आगे देखें : ये शाह से पहले ही मिल चुके
राजे से पहले प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष व अरुण सिंह से मिल चुके हैं। चर्चा है कि ये तीनों कुछ अन्य नेताओं से भी मिले हैं।
लगभग घंटेभर की इस भेंट में राजस्थान के मसलों और विधानसभा उपचुनाव सम्बन्धी चर्चा हुई बताई।