गौरतलब है कि राजे की पिछले कुछ दिनों से चली आ रही सियासी चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई थी। सरकार पर संकट और गरमाए राजनीतिक हालातों के मद्देनज़र उनकी खामोशी के कई मायने निकाले जा रहे थे।
‘सरकार के लापता होने का है नतीजा’
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में 11 लोगों की मौत के मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में अपना बयान जारी कर कहा, ‘जोधपुर के देचू गाँव में 11 पाक शरणार्थीयों की मृत्यु एक दिल हिला देने वाली घटना है। इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिये। ये नतीजा है सरकार के लापता होने का!’
22 दिन बाद आया सरकार विरोधी बयान
गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाती पूर्व मुख्यमंत्री राजे की प्रतिक्रिया लम्बे अंतराल बाद आई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने आधिकारिक अकाउंट से उन्होंने प्रदेश के किसी राजनीतिक विषय पर आखिरी प्रतिक्रिया 18 जुलाई को 22 दिन पहले दी थी। तब उन्होंने बयान जारी कर खुद को पार्टी के प्रति वफादार बताया था।
तब एक बयान जारी करते हुए उन्होंने लिखा था, ‘राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम पर कुछ लोग बिना किसी तथ्यों के भ्रम फैलाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। मैं पिछले तीन दशक से पार्टी की एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में जनता की सेवा करती आई हूं और पार्टी एवं उसकी विचारधारा के साथ खड़ी हूं।‘
उसी दिन किये गए एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘ये दुर्भाग्य है कि कांग्रेस के आतंरिक कलह का नुकसान राजस्थान की जनता को उठाना पड़ रहा है। कांग्रेस पार्टी भाजपा और भाजपा नेतृत्व पर दोष लगाने का प्रयास कर रही है। सरकार के लिए सिर्फ और सिर्फ जनता का हित सर्वोपरि होना चाहिए। कभी तो जनता के बारे में सोचिये।‘ इस ट्वीट में उन्होंने प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों, किसानों की उपेक्षा, महिला अपराधों में बढ़ोतरी और बिजली समस्या की ओर भी सरकार का ध्यान खींचा था।
इसी दिन अपने तीसरे ट्वीट में भी उन्होंने सरकार को घेरा था। तब जालोर में एक युवती से दुष्कर्म और ह्त्या के सम्बन्ध में राजे ने बयान जारी किया था। उन्होंने लिखा था, ‘पांथेडी गांव (जालोर) में देवासी समाज की युवती से दुष्कर्म व हत्या का मामला कांग्रेस सरकार के कुशासन की कहानी बयां कर रहा है। उक्त घटना पर संबंधित अधिकारियों से बात कर मामले की जानकारी ली। मैं न्याय के लिए पीड़ित परिवार के साथ खड़ी हूं, मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।‘
गहलोत से मिलीभगत के लग चुके हैं आरोप
वसुंधरा राजे पर गहलोत से मिलीभगत के भी सनसनीखेज़ आरोप लग चुके हैं। भाजपा के ही समर्थित रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल ने सार्वजनिक रूप में सोशल मीडिया के ज़रिये राजे पर गहलोत से सांठ-गांठ होने के आरोप लगाए थे। बेनीवाल ने दावा करते हुए आरोप लगाया था कि वसुंधरा विधायकों को फोन करके गहलोत का साथ देने को कह रही हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वसुंधरा-गहलोत दोनों एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालते हैं।