भारतीय संस्कृति वेद संस्कृति
राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति को वेद संस्कृति बताते हुए कहा कि जीवन से मृत्युपर्यन्त तक के सभी सोलह संस्कार वेदों में बताए गए हैं। उन्होंने वेदों में वर्णित संस्कार विधि के अनुसार कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो सकता है। वेद विद्यापीठ को नई पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता की उदात्त भावना का विकास इनके जरिए किया जा सकता है। आदि शंकाराचार्य द्वारा वेदों के भाष्य लिखे जाने और वेदों के जरिए भारतीय संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रसार किए जाने की चर्चा करते हुए उन्होंने शंकर के अद्वैत दर्शन और अनेकता में एकता की भारतीय संस्कृति को आज भी प्रासंगिक बताया।
इस अवसर पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र ने वेद विद्यापीठ की विद्वत चर्चा श्रृंखला सारस्वत के शुभारम्भ की भी घोषणा की। इससे पहले ऑनलाइन लोकार्पण समारोह में वेद विज्ञों द्वारा वेद मंत्रों का स.स्वर मंगलाचरण किया गया। ऑनलाइन समारोह में राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार ने वेद विद्यापीठ को वर्तमान समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताया। राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रसार में यह महत्ती कदम है।