राज्यवर्धन ने मंत्री द्वारा किराए पर वेंटिलेटर दिए जाने वाले बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया और ट्वीट कर कहा कि पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेसर्ट का उपयोग राज्य के सरकारी अस्पतालों में नहीं किया जा रहा। प्रदेश में वेंटिलेटर या तो कबाड़ खाने में पड़े हैं या सरकार ने उन्हें निजी अस्पतालों को किराए पर दे दिए है। ऐसा करने के बाद सीनाजोरी भी हो रही है कि ’वेंटिलेटर किराए पर ही दिए हैं फोकट में नहीं’’। जिन वेंटिलेटर्स से गरीब की जान बच सकती थी उन्हें गहलोत सरकार ने किराए पर दे दिए और गरीब आदमी को उन्ही निजी अस्पतालों में इलाज के लिए प्रतिदिन 50 हजार रुपए देने पड़ रहें हैं। जिन वेंटिलेटर्स से गरीब की जान बच सकती थी गहलोत सरकार ने उन्हें किराए पर दे दिए।
हमारे विरोध के बाद सरकार ने घुटने टेके राज्यवर्धन ने कहा कि वेंटिलेटर किराए पर देने को लेकर हमारे विरोध के बाद सरकार ने जनता को राहत देते हुए निजी अस्पताल में दिए जाने पर उनका किराया वसूल नहीं करने का निर्णय लिया है, लेकिन यह भी आधा-अधूरा निर्णय है। गरीब आदमी का आपदा के समय निजी अस्पतालों में निशुल्क इलाज होना चाहिए, यह आपदा है इस पर सरकार को गम्भीरता से विचार करना चाहिए, यही हमारी मांग है।