लापरवाही : प्रदेश के सबसे बडे अस्पताल में नहीं मिला नवजात को वेंटिलेटर, थमी सांसें
मौत के बाद हरकत में आया प्रशासन, शुरू किया एनआईसीयू वार्ड

विजय शर्मा / जयपुर . 12 दिन पहले जेकेलोन अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड खुलने के बाद नवजातों के बेहतर इलाज का दावा करने वाली सरकार की पोल बुधवार को खुल गई। सांस की तकलीफ के चलते यहां भर्ती हुए एक नवजात को समय पर वेेटिलेंटर नहीं मिल सका। इसके चलते मंगलवार देर रात नवजात की मौत हो गई। 4 मई को जोर-शोर से जेकेलोन अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड का उद्घाटन किया गया था। इतना ही नहीं जेकेलोन अस्पताल को देश के सरकारी और निजी अस्पतालों में सबसे ज्यादा एनआईसीयू बैड हासिल करने का तमगा दिया गया था। अस्पताल में इतनी सुविधाओं को ढोल पीटने के बाद भी मंगलवार को नवजात के लिए वेटिलेंटर नसीब नहीं हुआ।
चौमूं निवासी अनीता सागर को चौमूं के एक निजी अस्पताल में डिलीवरी हुई थी। सांस की तकलीफ के चलते बच्चे की हालत खराब हुई, इसके चलते परिजन सोमवार रात 9 बजे नवजात को जेके लोन अस्पताल लेकर आए। बच्चे को मंगलवार सुबह 9 बजे तक वेंटिलेटर नहीं मिल सका। इस दौरान नवजात को एंबू के सहारे ऑक्सीजन दी गई, लेकिन जनरल वार्ड की अव्यवस्थाओं के बीच मासूम ने रात को दम तोड़ दिया। इस बीच नवजात की मौत ने अस्पताल प्रशासन की कार्यव्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। इधर नवजात की मौत के बाद आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने बुधवार को ही एनआईसीयू वार्ड शुरू कर दिया।
प्रशासन का तर्क : प्रशिक्षित नहीं स्टॉफ, ट्रेनिंग चल रही
करोड़ों की लागत से 105 बैड के एनआईसीयू का उद्घाटन कर दिया लेकिन स्टॉफ को दक्ष नहीं किया गया। इसके चलते वार्ड को शुरू नहीं किया गया। अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि स्टॉफ की ट्रेनिंग चल रही थी, जो बुधवार को ही पूरी हुई है। प्रशासन का कहना है कि बुधवार को वार्ड शुरू कर दिया गया है।
बच्चों के गंभीर हालत में निजी अस्पताल से रैफर किया गया था। जेकेलोन में वेटिलेंटर खाली नहीं थे। एनआईसीयू में फिलहाल ट्रेनिंग दी जा रही है।
अशोक गुप्ता, अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल
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