चिकित्सा मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि वर्तमान में एक जांच प्रयोगशाला जयपुर में है। जिसमें 7461 जांच नमूने इस समय लंबित है। उन्होंने बताया कि दो साल में लिए गए दवाओं के नमूनों में से 161 नमूने तय मानकों से भिन्न पाए गए। भदेल ने कहा कि कुल 8779 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 8061 के जांच नमूने अभी बकाया हैं। महज 718 नमूने जांचे गए हैं, जिनमें से भी 161 फैल हो गए हैं, फिर 76 प्रकरण ही दर्ज क्यों हुए और किस एक्ट में प्रकरण दर्ज हुए, सजा क्या दी गई। इस पर मंत्री ने बताया कि 13 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज हुई और 14 प्रकरणों में निर्माता के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की गई। 161 में से 27 फर्म राजस्थान की और शेष बाहर की हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दवा के इतने नमूने लंबित हैं और उनमें से कोई अमानक हैं तो क्या प्रदेश के लोग उन्हीें दवाइयों को लेते रहेंगे। प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि दवा बनाने वाली कंपनियां खुद ही दवा की जांच करवाकर बाजर में भेजती हैं, आशंका है कि नमूनों को पास करवाने के बाद वे अमानक दवा की दूसरी खैफ बाजार में भेज देती हो, इसलिए कानून को मजबूत करने की जरूरत है। इस पर चिकित्सा मंत्री ने कहा कि यह कानून भारत सरकार का बनाया हुआ है, इसे मजबूत करने के लिए भारत सरकार को लिखा जाएगा।