दरअसल नाहरगढ़ जैविक उद्यान में केनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) का भय अभी तक बरकरार है। 21 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए। इससे बचाव को लेकर शेर-शेरनी, बाघ-बाघिन, लेपर्ड समेत कई वन्यजीवों को दूसरी बार टीके लगाए गए है।
पिछले दिनों शेरनी सुजैन की मौत का जिम्मेदार इसी वायरस ही माना गया, जबकि रिद्धि और सीता की मौत को लेकर इसके होने की केवल आशंका जताई जा रही है। विभाग ने जानवरों के सैंपल लेकर पुणे और बरेली में जांच के लिए भेजे हैं, लेकिन अभी तक वहां से इस वायरस के संबंध में कोई सूचना नहीं है।
यह एक वायरस से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। कई प्रकार के पशु प्रजाति के जानवरों से फैलती है। इसका असर जानवर के शरीर में प्रवेश करने के 10 से 15 दिन बाद समझ आते है। तब तक इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी से पशु का श्वसन प्रणाली, आंत और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।