ऐसे जोड़ी कड़ी से कड़ी
विवेक ने बताया, इस कंपाउंड में ज्यादातर विदेशी परिवार रहते हैं। लोग परेशान हो रहे थे, लेकिन कोई युक्ति नजर नहीं आ रही थी, फिर सप्लायर भी सिंगल ऑर्डर पर डिलीवरी को तैयार नहीं थे। इसलिए ग्रुप बाय का विकल्प ढूंढा। वीचैट के जरिए लोगों को जोड़ा और उनसे ऑर्डर मांगे। इसका असर ये हुआ कि आधे घंटे में ही पानी के 58 कैंपर का ऑर्डर आ गया। अगले दिन 100 से ज्यादा कैंपर का ऑर्डर हुआ। अब समस्या इन्हें वितरण की थी। विवेक ने पानी के कैंपर पहुंचाने के लिए सिक्योरिटी पर्सन को कहा, तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। फिर याद आए भारतीय संस्कार, जहां जलसेवा का महत्व बचपन से सिखाया जाता है। पहले दिन वैन के साथ अपने तीन साथियों को लेकर कैंपर पर नाम-पता लिखकर कंपाउंड के नीचे रखवा दिया। सोसायटी में जापान, अमरीका, जर्मनी, हंगरी और कई अन्य देशों के लोग रहते हैं। जब विवेक को पानी और अन्य सामान की आपूर्ति के लिए इस तरह दौड़ धूप करते देखा, तो कुछ विदेशियों ने मदद का हाथ बढ़ाया और इस तरह एक वॉलंटियर ग्रुप बन गया, जो अब बारी-बारी से वितरण में मदद कर रहे हैं। जब सिक्योरिटी के लोगों को लगा कि यह विदेशी हमें भी पानी और राशन मुहैया करवा रहा है तो वे भी मदद करने लगे। अब विवेक को वहां के लोग ‘श्वेग’ बुलाने लगे हैं। चायनीज में श्वे का अर्थ है पानी और ग का अर्थ है भाई, अर्थात् ‘पानी भाई’
सहकारिता का सूत्र दिया
बात यहीं तक नहीं थी, विवेक ने विदेशियों को सहकारिता का सूत्र भी दे दिया। विशाल कंपाउंड में जो विदेशी अपने पड़ोसी तक को नहीं जानते थे, वे अब आलू, प्याज, चीनी, चावल और पास्ता जैसी छोटी-छोटी जरूरतें आपस में मांग कर पूरा करने लगे हैं। इससे पूरी सोसायटी में सौहार्द का माहौल बन गया। साथ ही यह भी संदेश दिया कि हर जरूरत के लिए सरकार पर निर्भर न रहें।
भाषा का सबसे बड़ी बाधा
विवेक 10 वर्ष से चीन में हैं, इसलिए चायनीज बोल लेते हैं, लेकिन पढ़ नहीं सकते। फिर सोसायटी में अन्य देशों के भी परिवार हैं, इसलिए वीचैट के मिनी प्रोग्राम से संवाद आसान नहीं था। दूसरी बात सभी लोग वांछित जानकारी नहीं दे रहे थे, जिससे उन तक डिलीवरी पहुंचाने में और भी मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कुछ मित्रों की मदद से हल निकाल लिया।
तीसरी बार लॉकडाउन
मार्च के दूसरे सप्ताह में कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन लगा था, लेकिन एक अप्रेल से पूरे शंघाई में लॉकडाउन लग गया। संक्रमितों के केस कम हो रहे हैं, लिहाजा एक जून तक इसमें राहत मिलने के आसार हैं। उधर राजधानी बीजिंग में केस बढऩे के बाद प्रिवेंटिव उपाय शुरू कर दिए गए हैं। लोगों को घर से काम करने को कहा गया है।