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क्या राजनीति के नौसिखिए जेलेंस्की रूस के प्रभुत्व को चुनौती देंगे ?

locationजयपुरPublished: May 07, 2019 07:45:16 pm

Submitted by:

pushpesh

-जेलेंस्की ऐसे समय में राष्ट्रपति बने हैं जब यूक्रेन दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक भ्रष्टाचार के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और दूसरा अलगाववादियों के प्रभाव क्षेत्रों में हिंसा पर काबू पाना।

58 प्रतिशत यूक्रेनी चाहते हैं यूरोपीय संघ में शामिल होना

क्या राजनीति के नौसिखिए जेलेंस्की रूस के प्रभुत्व को चुनौती देंगे ?

जयपुर.

कॉमेडियन से यूक्रेन के राष्ट्रपति बनने वाले वोलोडिमीर जेलेंस्की रूसी लोगों को वैसे ही निराश कर सकते हैं, जैसे ट्रम्प रूस की आशा के अनुरूप अमरीकी नीतियों में बदलाव नहीं कर सके थे। जेलेंस्की ऐसे समय में राष्ट्रपति बनने जा रहे जब यूक्रेन दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहली 2014 की मैदान क्रांति के बाद आर्थिक सुधार, जो कमजोर और भ्रष्टाचार में घिरी हुई है। यूक्रेन यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक है। दूसरा रूस के साथ यूक्रेन का गतिरोध। पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में जारी संघर्ष में 13 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। जेलेंस्की का कोई नीतिगत टै्रक रिकॉर्ड नहीं है। वे मीडिया साक्षात्कार, राजनीतिक रैलियां करने की बजाय अपनी टीवी छवि को ही भुना रहे हैं। उधर पोरोशेंको समर्थकों में डर है कि जेलेंस्की यूक्रेन को फिर से रूस के प्रभुत्व में ला देंगे। जेलेंस्की नए हैं, अनुभवी नहीं हैं। वे नुकसान की तरफ ले जा सकते हैं, लेकिन वे ऐसी नीतियां भी अपना सकते हैं, जो देश को आंतरिक रूप से मजबूती प्रदान करें। यूरोप के साथ भी रहें और रूस के साथ भी।
इन पांच कारणों से रूस को हो सकती है निराशा
1. जेलेंस्की कोई डमी नहीं है, उन्होंने एक सफल व्यापारिक साम्राज्य बनाया है। स्टीवन कहते हैं, हाल के दिनों में मैं कीव में था। पोरोशेंको की ओर से नियुक्त यूक्रेनी अधिकारी ने सवाल किया कि जेलेंस्की कैसे शासन करेंगे? वह पुतिन की तरह हेरफेर करने में कुशल नहीं हंै, लेकिन रूसी मंसूबों की समझ है।
2. जेलेंस्की की विदेश नीति ऐसी नहीं होगी, जो क्रेमलिन को खुश रख सके। वह युद्ध के लिए रूस को दोषी ठहराते हैं, क्रीमिया और डोनबास को वापस करने के लिए रूस से कहते हैं। वह यूक्रेन के एकीकरण की बात करते हैं। यूरोपीय संघ और नाटो में शामिल होने की बात भी कहते हैं। जेलेंस्की के करीबियों का कहना है कि वे मास्को के साथ काम करने के लिए पुतिन के साथ आने को तैयार हैं, लेकिन केवल यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों के साथ एक दृष्टिकोण पर काम करने के बाद। वह अमरीका और ब्रिटेन को फ्रांस, जर्मनी, यूक्रेन और रूस की ‘नॉरमैंडी’ वार्ता से जोडऩा चाहते हैं, जो डोनबास में संघर्ष का समाधान ढूंढ सकती है।
3. जेलेंस्की का दावा है कि वह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को प्राथमिकता देने के साथ मजबूत, अर्थव्यवस्था का निर्माण करेंगे। उनकी टीम में ओलेक्सेंडर डेनिलुक और ऐवासर अब्रोमाविसियस जैसे सुधारक हैं, जिन्होंने मंत्रियों के रूप में पोरोशेंको के राष्ट्रपति रहने के दौरान महत्वपूर्ण सुधारों को लागू किया। भ्रष्टाचार ने यूक्रेन को कमजोर किया तो रूस ने इसका फायदा उठाया। यदि जेलेंस्की भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में कामयाब होते हैं और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में कामयाब होते हैं तो यह रूसी प्रभुत्व के लिए चुनौती होगा। हालांकि पुतिन ऐसा नहीं चाहेंगे कि यूक्रेन भ्रष्टाचार मुक्त हो और आर्थिक रूप से उन्नत हो।
4. राष्ट्रपति के अधिकारी असीमित नहीं हैं। राष्ट्रपति राडा (संसद) के साथ सत्ता साझा करता है, जिसका अक्टूबर में चुनाव होता है और राडा प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री कैबिनेट के मंत्रियों का चयन करता है। राडा यूक्रेन समर्थक यूरोपीय कार्य प्रणाली का समर्थन करना जारी रहेगा और रूस के लिए फायदेमंद दिखने वाली हर चीज का विरोध करेगा। फरवरी में संसद ने देश के रणनीतिक उद्देश्यों के लिए यूरोपीय संघ और नाटो की सदस्यता के लिए संविधान संशोधन पर मतदान भी किया था।
5. ज्यादातर यूक्रेनी यूरोपीय संघ के पक्ष में हैं। 2013 में ईयू के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी पर हजारों की संख्या में लोग सडक़ों पर उतर आए थे। हाल ही एक सर्वेक्षण में दिखाया गया कि 58 प्रतिशत यूक्रेनी यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहते हैं, जबकि 22 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं।

नागरिकता प्रस्ताव से बढ़ सकता है तनाव
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए नागरिकता का प्रस्ताव भेजा है, जिस पर यूक्रेन की ओर से अभी कोई जवाब नहीं भेजा गया, लेकिन माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों में तनाव बढऩे की आशंका है। ये प्रस्ताव यूक्रेन के लुहान्स और डोनेट्सक क्षेत्रों में रहने वाले स्थायी निवासियों को सरल प्रक्रिया के तहस रूसी नागरिकता का अधिकार देता है। ये दोनों की क्षेत्र यूक्रेन से अलग होने की मांग करते रहे हैं। रूस का कहना है कि यूक्रेन विद्रोहियों वाले क्षेत्रों में समझौते के तहत स्वायत्तता प्रदान नहीं कर रहा। उधर यूक्रेन का कहना है कि इन क्षेत्रों में रूस के दखल को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण की आवश्यकता है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में पिछले पांच वर्ष में 13 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इससे पूर्व चुनाव से पहले रूस ने नए व्यापार प्रतिबंध लगाकर यूक्रेन पर दबाव बढ़ाया है।
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