scriptमंडावा में मतदाता खामोश, प्रत्याशियों व समर्थकों में जोश | Voters silent in Mandawa, enthusiasm in candidates and supporters | Patrika News

मंडावा में मतदाता खामोश, प्रत्याशियों व समर्थकों में जोश

locationजयपुरPublished: Oct 19, 2019 09:42:37 am

Submitted by:

Ankit

कांग्रेस का ‘कांग्रेस’ से ही मुकाबला

झुंझुनूं। मंडावा विधानसभा उपचुनाव के मतदान में महज तीन दिन शेष हैं लेकिन प्रत्याशियों व उनके समर्थकों जैसा उत्साह व जोश मतदाताओं में नजर नहीं आ रहा है। जनता की अदालत में भाजपा-कांग्रेस सहित कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। फिर भी मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है। वैसे इस उपचुनाव में हार जीत से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला लेकिन दोनों ही दलों नेे इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है।
मंडावा विधानसभा में यह दूसरा उपचुनाव है। पहला उपचुनाव १९८३ में हुआ था। संयोग है कि ३६ साल पहले पिता रामनारायण चौधरी लड़े, अब उनकी पुत्री रीटा उपचुनाव लड़ रही हैं। इस बार दोनों ही दलों ने महिलाओं पर दांव खेला है। ऐसे में यहां महिला विधायक का निर्वाचित होना तय माना जा रहा है। इससे पहले १९८५ में कांग्रेस की सुधादेवी तथा २००८ में कांगे्रस की रीटा चौधरी विधायक बनीं।
उपचुनाव के ताजा हाल जानने हम विधानसभा क्षेत्र में निकले। अलसीसर के बस स्टैंड पर बैठे ७६ वर्षीय जयपाल पूनिया बोले, अलसीसर ग्राम पंचायत की अनदेखी शुरू से ही हो रही है। यहां के लोग आज भी शुद्ध व मीठे जल को तरस रहे हैं। अलसीसर में एक होटल में भाजपा प्रत्याशी का चुनाव कार्यालय बना हुआ है। चाय की चुस्कियों के साथा भाजपा के जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी की गहन मंत्रणा में व्यस्त हैं। यहां खास बात यह नजर आई कि जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर नेताओं की जिम्मेदारी तय की जा रही थी। कार्यालय में मिले इंद्रसिंह चौहान ने भी मीठे पानी से अलसीसर को वंचित करने पर पीड़ा जताई। इसके बाद मलसीसर पहुंचे तो बाजार में मिले सांवरमल ने कहा कि बांध के पानी का स्थानीय लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। फिल्टर भी खराब हैं।
मलसीसर से बिसाऊ जाते समय निराधनू गांव में सडक़ किनारे पांडाल सजा था। दर्जन भर बुजुर्ग ग्रामीण वहां बैठे थे। वहां नुक्कड़ सभा होनी थी। यहां से हम सीधे बिसाऊ पहुंचे। बस स्टैंड पर ऑटो चालक आदि चाय की दुकान के आगे चर्चारत थे। चुनावी चर्चा छेड़ी तो भीखनसर के विकास ने कहा, इस बार अध्यापकों के तबादले खूब हुए हैं। चुनाव में इनका असर दिखाई देगा। बिसाऊ से चलकर हम मंडावा पहुुंचे। यहां सुभाष चौक पर लंबा जाम लगा था। थोड़ा आगे पहुंचे तो एक होटल में भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर निकल रहे थे। होटल के आगे सडक़ के दोनों तरफ वाहन खड़े होने के कारण जाम लगा था। मंडावा से झुंझुनूं के बीच सडक़ का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। सिंगल रोड अब डबल बन चुकी है। हालांकि दुराना से झुंझनंू के बीच अब भी सिंगल रोड ही है।
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कांग्रेस का ‘कांग्रेस’ से ही मुकाबला

भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं सुशीला सीगड़ा लंबे समय तक कांग्रेसी रही हैं। उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुईं। इसके बाद भाजपा ने उन्हें टिकट दे दिया। दरअसल, झुंझुनूं जिले में कांग्रेस दो दिग्गजों के बीच बंटी रही है। एक धड़े की बागडोर शीशराम ओला तो दूसरे की रामनारायण चौधरी के पास रही। एक ही दल में होने के बावजूद दोनों दिग्गज व खांटी नेताओं के वैचारिक मतभेद जगजाहिर थे। शीशराम ओला व रामनारायण चौधरी के निधन के बाद भी वैचारिक मतभेद की लड़ाई थमी नहीं। भाजपा प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा ओला खेमे में रही हैं जबकि रीटा रामनारायण चौधरी की पुत्री हैं। अब दोनों की पार्टी अलग है लेकिन पुराना मतभेद अब भी नजर आता है। कांग्रेस के एक बागी भी चुनाव भी मैदान में हैं। ऐसे में चर्चा जोरों पर हैं कि मुकाबला तो कांग्रेस का ‘कांग्रेस’ से ही है।
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