यह है पंचकर्म
पंचकर्म को आयुर्वेद की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि माना जाता है। इस विधि से शरीर में होने वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करने के लिए उपचार दिया जाता है। इसमें शरीर के तीनों दोषों यानी वात, पित्त, कफ के असामान्य रूप को समान करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं। लेकिन इन कई प्रक्रियायों में पांच कर्म मुख्य हैं, इसीलिये पंचकर्म कहते हैं। वमन, विरेचन, बस्ति– अनुवासन, बस्ति – आस्थापन, नस्य आदि पांच क्रियाएं करवाई जाती हैं।
पंचकर्म को आयुर्वेद की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि माना जाता है। इस विधि से शरीर में होने वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करने के लिए उपचार दिया जाता है। इसमें शरीर के तीनों दोषों यानी वात, पित्त, कफ के असामान्य रूप को समान करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं। लेकिन इन कई प्रक्रियायों में पांच कर्म मुख्य हैं, इसीलिये पंचकर्म कहते हैं। वमन, विरेचन, बस्ति– अनुवासन, बस्ति – आस्थापन, नस्य आदि पांच क्रियाएं करवाई जाती हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग की चुनौती
यह सभी क्रियाएं करवाने के लिए पंचकर्म स्पेशलिस्ट को मरीज को छूना पड़ता है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन रखना किसी चुनौती की तरह है। इसीलिए फिलहाल एनआईए में इसके लिए सब्सटीट्यूट पर काम किया जा रहा है। वहीं पीपीई किट व अन्य सामान के खर्च वहन को लेकर भी दिशा—निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
यह सभी क्रियाएं करवाने के लिए पंचकर्म स्पेशलिस्ट को मरीज को छूना पड़ता है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन रखना किसी चुनौती की तरह है। इसीलिए फिलहाल एनआईए में इसके लिए सब्सटीट्यूट पर काम किया जा रहा है। वहीं पीपीई किट व अन्य सामान के खर्च वहन को लेकर भी दिशा—निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
इनका कहना है
अभी पंचकर्म शुरू नहीं किया गया है। इसके लिए भी दिशा—निर्देशों का इंतजार है। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने और महामारी को लेकर इस संबंध में जो भी आदेश आएंगे, उसी के अनुसार पद्धति शुरू की जाएगी।
डॉ. गोपेश मंगल, पंचकर्म स्पेशलिस्ट, एनआईए
अभी पंचकर्म शुरू नहीं किया गया है। इसके लिए भी दिशा—निर्देशों का इंतजार है। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने और महामारी को लेकर इस संबंध में जो भी आदेश आएंगे, उसी के अनुसार पद्धति शुरू की जाएगी।
डॉ. गोपेश मंगल, पंचकर्म स्पेशलिस्ट, एनआईए