नगरपालिका एक्ट के अनुसार इस बार दोनों नगर निगम में 12-12 के हिसाब से 24 पार्षदों का मनोनयन किया जाना है। सरकार कांग्रेस की है, इसलिए सभी मनोनीत पार्षद कांग्रेस के ही होंगे। लेकिन सरकार का अभी तक इस ओर ध्यान ही नहीं गया है। जबकि प्रदेश की ज्यादातर नगरपालिका और नगर निगम में पार्षद मनोनीत हो चुके हैं। गौरतलब है कि सरकार कर्मठ कार्यकर्ताओं को मनोनीत पार्षद बनाती आई है। कांग्रेस ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार के समय भी जयपुर नगर निगम में 6 पार्षदों का मनोनयन किया था। मगर इस बार इस काम में देरी हो रही है।
आपसी खींचतान में अटका मनोनयन कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी खींचतान किसी से छुपी नहीं है। इस खींचतान का ही नतीजा है कि हैरिटेज नगर निगम में समितियों का गठन नहीं हो पाया है। वर्तमान परिस्थितियों समितियों का गठन होने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है। ऐसे में सरकार को पार्षदों के मनोनयन में भी विधायकों की एकराय बनाने में परेशानी होगी।
कई लोग लगा रहे हैं चक्कर मनोनीत पार्षद बनने के लिए कई कार्यकर्ता नेताओं के चक्कर भी लगा रहे हैं। निगम में भी इन कार्यकर्ताओं की सक्रियता देखने को मिल रही है। यही नहीं कुछ नेता तो दिल्ली के नेताओं से भी मिल रहे हैं ताकि उनका नंबर लग जाए।