ऐसे हो रहा काम
—सीवरलाइन की गहराई को पांच हिस्सों में बांटा गया हैं जैसे ही तीसरा हिस्सा पानी पार करता है तो स्मार्ट सिटी के कार्यालय में मैसेज जाता है। वहां से निगम के पास मैसेज आता है और निगम उक्त समस्या का निस्तारण समय रहते कर देता है।
—इन सेंसर को लोरावेन गेटवे तकनीक से जोड़ा गया है। इसके जरिए ही मैसेज स्मार्ट सिटी कार्यालय में पहुंचता है।
—सीवरलाइन की गहराई को पांच हिस्सों में बांटा गया हैं जैसे ही तीसरा हिस्सा पानी पार करता है तो स्मार्ट सिटी के कार्यालय में मैसेज जाता है। वहां से निगम के पास मैसेज आता है और निगम उक्त समस्या का निस्तारण समय रहते कर देता है।
—इन सेंसर को लोरावेन गेटवे तकनीक से जोड़ा गया है। इसके जरिए ही मैसेज स्मार्ट सिटी कार्यालय में पहुंचता है।
ये दिक्कत भी
परकोटा के बाबा हरिश्चंद्र मार्ग, खजाने वालों का रास्ता से लेकर नाहरगढ़ रोड, पुरानी बस्ती में इन सेंसर को लगाया गया है। कई जगह सीवर का ढक्कन बीच में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार वाहन गिर जाते हैं। क्योंकि इनकी ऊंचाई अधिक है। इस वजह से हादसे का डर बना रहता है। हालांकि, स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है।
परकोटा के बाबा हरिश्चंद्र मार्ग, खजाने वालों का रास्ता से लेकर नाहरगढ़ रोड, पुरानी बस्ती में इन सेंसर को लगाया गया है। कई जगह सीवर का ढक्कन बीच में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार वाहन गिर जाते हैं। क्योंकि इनकी ऊंचाई अधिक है। इस वजह से हादसे का डर बना रहता है। हालांकि, स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है।
ये भी हो रहा
—1000 सेंसर का उपायोग स्मार्ट सिटी की ओर से पार्किंग स्थलों में किया जाएगा। इससे पार्किंग स्पेस के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
—1500 सेंसर लाइटों में भी लगाए जा रहे हैं। ये लाइटें दिन ढलने के साथ ही जल जाती हैं और सुबह रोशनी होने के साथ ही बंद हो जाती हैं।
फैक्ट फाइल
—3.90 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं इस पूरे प्रोजेक्ट पर
—03 काम शामिल किए गए हैं, पांच साल कम्पनी करेगी रखरखाव
—3.90 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं इस पूरे प्रोजेक्ट पर
—03 काम शामिल किए गए हैं, पांच साल कम्पनी करेगी रखरखाव