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परकोटे में नया प्रयोग: सीवर उफनने को है— बता रहा सेंसर, 1000 ढक्कनों पर लगाए गए

locationजयपुरPublished: Jan 17, 2022 09:06:54 am

Submitted by:

Ashwani Kumar

राजधानी के परकोटा क्षेत्र में शुरू किया प्रयोग, सफल हुआ तो पूरे शहर में लगाए जाएंगे

परकोटे में नया प्रयोग: सीवर उफनने को है— बता रहा सेंसर, 1000 ढक्कनों पर लगाए गए

परकोटे में नया प्रयोग: सीवर उफनने को है— बता रहा सेंसर, 1000 ढक्कनों पर लगाए गए

जयपुर। सीवर का गंदा पानी सड़क पर न बहे और तय समय में समस्या का निस्तारण हो सके, इसके लिए सीवरलाइन के ढक्कनों पर सेंसर लगाए जा रहे हैं। परकोटे की गलियों से इसकी शुरुआत की गई है और प्रयोग सफल रहा तो आने वाले समय में राजधानी के विभिन्न हिस्सों में लगाया जाएगा।
दरअसल, सीवरेज ब्लॉकेज की दिक्कत परकोटे में सर्वाधिक है। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम और स्मार्ट सिटी की टीम ने 12000 सीवरेज के ढक्कनों को चैक किया। इनमें से 2000 ढक्कनों पर सेंसर लगाने का निर्णय लिया गया। स्थानीय लोगों से बातचीत और निगम में आने वाली शिकायतों के आधार पर यह सामने आया कि यहीं से सीवरेज का पानी बाहर आता है। अभी 1000 सेंसर लगाए जा चुके हैं और आने वाले दो महीने में यह काम पूरा कर लिया जाएगा। जो सेंसर लग चुके हैं, उन्होंने काम करना शुरू कर दिया है।
ऐसे हो रहा काम
—सीवरलाइन की गहराई को पांच हिस्सों में बांटा गया हैं जैसे ही तीसरा हिस्सा पानी पार करता है तो स्मार्ट सिटी के कार्यालय में मैसेज जाता है। वहां से निगम के पास मैसेज आता है और निगम उक्त समस्या का निस्तारण समय रहते कर देता है।
—इन सेंसर को लोरावेन गेटवे तकनीक से जोड़ा गया है। इसके जरिए ही मैसेज स्मार्ट सिटी कार्यालय में पहुंचता है।
ये दिक्कत भी
परकोटा के बाबा हरिश्चंद्र मार्ग, खजाने वालों का रास्ता से लेकर नाहरगढ़ रोड, पुरानी बस्ती में इन सेंसर को लगाया गया है। कई जगह सीवर का ढक्कन बीच में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार वाहन गिर जाते हैं। क्योंकि इनकी ऊंचाई अधिक है। इस वजह से हादसे का डर बना रहता है। हालांकि, स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है।

ये भी हो रहा
—1000 सेंसर का उपायोग स्मार्ट सिटी की ओर से पार्किंग स्थलों में किया जाएगा। इससे पार्किंग स्पेस के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
—1500 सेंसर लाइटों में भी लगाए जा रहे हैं। ये लाइटें दिन ढलने के साथ ही जल जाती हैं और सुबह रोशनी होने के साथ ही बंद हो जाती हैं।
फैक्ट फाइल
—3.90 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं इस पूरे प्रोजेक्ट पर
—03 काम शामिल किए गए हैं, पांच साल कम्पनी करेगी रखरखाव

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