डॉ. कल्ला ने बताया कि बीकानेर-लालगढ़ रेल लाइन पर बने चार फाटकों में से दो पर रोड ओवर ब्रिज बनाये गए हैं, जबकि कोटगेट क्षेत्र में स्टेशन के पास दो अन्य रेलवे फाटक हैं जो दिन में करीब 50 बार बंद होते हैं। इससे बीकानेर शहर का संपर्क कई बार बाहरी क्षेत्र से कटा रहता है। वहीं, जाम लगने से लोगों का आना-जाना दूभर हो जाता है। डॉ. कल्ला ने रेलवे के अधिकारियों को बताया कि बीकानेर के लोगों की इस समस्या को दूर करने के लिए ‘बीकानेर बाई पास रेल लाइन’ की स्वीकृति रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2003-2004 में ही दे दी थी। इसके बाद राज्य सरकार के आग्रह पर उत्तर पश्चिम रेलवे की ओर से एक सर्वे किया गया, लेकिन राजस्थान सरकार एवं रेलवे मंत्रालय के बीच में एमओयू नहीं होने के चलते 2009-2010 में रेल मंत्रालय की ओर से यह कार्य निरस्त कर दिया गया। इस निर्णय का एक कारण बीकानेर और लालगढ़ स्टेशन के बीच भविष्य में रेल गाड़ियों के कम आवागमन होने का बताया गया, लेकिन ब्राडगेज लाइन आने के बाद यात्री गाड़ियों की संख्या पहले से काफी बढ़ गई है, कोटगेट क्षेत्र के इन दो रेलवे फाटकों से औसतन प्रतिघंटा एक से दो ट्रेन गुजरती है। इससे इन दो फाटकों के अधिक समय तक बंद रहने के कारण बीकानेर शहरवासियों को परेशानी होती है।
-भूमि पहले ही अधिग्रहित जलदाय मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार की ओऱ से बीकानेर में रेलवे बाईपास के लिए पहले ही भूमि अधिग्रहित कर रखी है। लालगढ़ से नाल तक करीब आधा बाईपास बन भी गया है, आधा बनना बाकी है। बीकानेर में रेलवे बाईपास लाइन के बनने से डबल ट्रैक का निर्माण आसानी से हो सकेगा। साथ ही रेलवे लाइन के विद्युतीकरण से भविष्य में बीकानेर के लोगों की जरूरत के अनुसार अधिक यात्री ट्रेनें संचालित हो सकेगी। बैठक में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस के अधिकारी डॉ. किशनलाल मेघवाल, उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक रविन्द्र गोयल एवं निर्माण विभाग के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर सी. एल. मीना भी मौजूद रहे।