इधर लोगों के लिए पानी की व्यवस्था करने को लेकर जलदाय विभाग भी लाचार साबित हो रहा है। विभाग जल शोन केन्द्रों पर लगे पानी के पंप जवाब दे गए हैं। हालांकि विभाग जलापूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्थाओं को जुटा रहा है, लेकिन लोगों की संख्या और जरूरतों के मुताबिक यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
हालात ये हो गए शहर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और चंबल के किनारे बसी बस्तियों में पेयजल के हालात दूभर हो गए हैं। अधिकतर क्षेत्रों में सकतपुरा स्थित 130 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जलापूर्ति होती है। चंबल के पानी को उठाने के लिए चंबल किनारे बने रॉ वाटर पंप हाउस में चार पंप हैं, इनमें से एक पंप पहले ही पानी में बह गया है, दो पंप और अधरझूल में हैं। इन्हें जंजीरों से बांधा गया है। जंजीरें आहिस्ता आहिस्ता टूट रही है और से कभी भी पानी में बह सकते हैं। इन स्थितियों के चलते जब तक गांधी सागर के गेट बंद नहीं होते और पानी का वेग कम नहीं होगा, पेयजल व्यवस्था पटरी पर आने की कम उम्मीद है।
-इन क्षेत्रों में नहीं हो रही जलापूर्ति सकतपुरा, नांता, कुन्हाड़ी, स्टोन मंडी, नयाखेड़ा, बालिता, बापू नगर, गिरधरपुरा, नयापुरा, सिविल लाइन, लाडपुरा, खाईरोड, खंड गांवड़ी, दोस्तपुरा, आर्मी क्षेत्र खेड़ली फाटक, माला रोड, भीमगंजमंडी, डडवाड़ा, कैलाशपुरी, भदाना, सोगरिया, आकाशवाणी कॉलोनी, सरस्वती कॉलोनी, पुलिस लाइन कॉलोनी रोड, आरके नगर, शिवनगर, बोरखेड़ा, बारां रोड, नयानोहरा, अर्जुनपुरा, चंद्रेसल, रोटेदा, रायपुरा समेत करीब आधे कोटा शहर के वाशिंदों को तीन दिन से पानी नहीं मिला है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि बाजार में मुश्किल से पानी के कैंपर मिल रहे हैं, लेकिन इनके दाम अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा देना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बाजारों में पानी नहीं मिलने से दुकानदार भी परेशान हैं। कई प्रतिष्ठान पानी के अभाव में बंद रहा। हालांकि इसबीच जिला प्रशासन ने जलदाय विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि व्यवस्था सुचारू होने तक टैंकरों से जलापूर्ति की जाए।