हर साल सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। इसलिए करीब 72 साल बाद एक दिन के अंतर पर सूर्य मकर राशि में आता है। इतिहासकारों के अनुसार मुगलकाल में अकबर के शासन काल के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच होने लगा, क्योंकि यह संक्रमण काल है। 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था, इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई। आने वाले वर्षों में मकर संक्रांति हर साल 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी, ऐसी गणना कहती है। इतना ही नहीं करीब 5 हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में भी मनाई जाने लगेगी। —आगे बढ़ रहा संक्रांति का पर्वकाल
पिछले कुछ साल से मकर संक्रांति का समय आगे बढऩे लगा है। आमतौर पर 14 जनवरी क अंगे्रजी कैलेंडर के हिसाब से मकर संक्रांति मनाई जाती थी, पर पिछले 5/६ साल से इसका समय 15 जनवरी को होने लगा है। ज्योतिषियों का कहना है कि आनेवाले वर्षों में 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मकर राशि में सूर्य के प्रवेश का समय 80 से 100 साल में लगभग एक दिन बढ़ जाता है।
—25 साल में 6 घंटे का अंतर राशि के सूर्य से आगे बढ़ जाने पर्वकाल में अंतर आ जाता है। हर 100 साल में यह पर्व 24 घंटे आगे बढ़ जाता है अर्थात 25 साल में 6 घंटे का अंतर। 1900 से 2000 तक मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती थी। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। हर साल सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश करीब 20 मिनट देर से होता है। इस तरह हर साल यह समय बढ़ता रहता है। 80 से 100 साल में ऐसी स्थिति आती है कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक दिन देरी से होता है। पिछले 4-5 साल से लगातार मकर संक्रांति का समय 15 जनवरी को ही हो रहा है। भविष्य में 2080 के बाद यह पर्व 16 जनवरी को मनाया जा सकता है।
—एक दिन आगे-पीछे जयिोतिषियों का कहना है कि मकर संक्रांति का पर्व एक दिन आगे-पीछे होता है। सूर्य 30 दिन तक एक ही राशि में भ्रमण करता है और 366 दिन के बाद फिर दोबारा उसी राशि में चला जाता है। इस दौरान गति के हिसाब से कई बार समय आगे-पीछे हो जाता है और नतीजन इसमें अंतर आता है।
—सूर्य बदलता है मार्ग खगोलशाियों के अनुसार अंतरिक्ष में 4 ऐसे केंद्र बिंदु मेघ, कर्क, तुला और मकर हैं, जहां सूर्य अपना मार्ग बदलता है। ये 4 बिंदु मूलत: सूर्य की दिशा के परिवर्तन द्वार हैं। एक साल में पृथ्वी 365 दिन 6 घंटे और 50 सेकंड घूमती है। जब 4 साल होते हैं, तो एक दिन फरवरी का और जोडऩा पड़ता है। तब फरवरी 29 दिन की होती है। इस तरह 70 साल में मकर संक्रांति उत्तरायण के रूप में एक दिन जुड़ जाता है।