दरअसल, अधीक्षक आमेर की ओर से आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण ( एडमा ) को पत्र लिखा था। पत्र के अनुसार आमेर में गोताखोरों को तैनात रखने की जरूरत नहीं होना बताया गया। मावठा झील और सागर के सूखने का हवाला देकर आमेर महल प्रशासन ने गोताखोरों को आमेर से हटाने की सिफारिश की थी। एडमा ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय को पत्र भेजा, इसके बाद जयपुर जिला प्रशासन ने मावठा झील पर तैनात छह गोताखोरों को हटा दिया। बता दें कि 20 मई 2013 को आमेर महल के नीचे मावठा सरोवर में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए 6 गोताखोर-तैराक तीन पारियों में तैनात किए गए थे।
जान की परवाह नहीं मगर वेतन की चिंता इधर नागरिक सुरक्षा के डिप्टी कंट्रोलर जगदीश प्रसाद रावत का कहना है की आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से मिले पत्र के बाद गोताखोरों को मावठे से हटा दिया गया है। यदि उनकी हमारी तरफ से ड्यूटी लगाई जाती तो उनकों वेतन कौन देगा। अभी तक आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से भुगतान दिया जा रहा था। मावठा में राउंड द क्लॉक ड्यूटी पर 6 गोताखोरों की तैनाती की गई।
क्यों है जरूरी बता दें कि मावठा में जब पानी भरा रहता था, तब अक्सर लोग खुदकुशी की नियत से मावठा में छलांग लगा देते थे। कई लोगों की मावठे में पानी में डूबने से मौत हुई। गहरे पानी में डूबने से होने वाली मौत की घटनाओं को देखते हुए 6 गोताखोर लगाए गए थे। वहीं आमेर में पर्यटकों की संख्या रहती है, पर्यटक मावठा देखने के लिए भी जाते हैं। ऐसे में हादसे की आशंका रहती है।
इस संबंध में आमेर महल प्रशासन से बात कर रहे हैं। मावठे में गोताखोरों की जरूरत है। जल्द ही फिर से गोताखोरों को लगाएंगे। जगरूप सिंह यादव, जिला कलक्टर जयपुर