अब प्लंबर पहले फर्म तलाश करने के लिए अपना पसीना बहा रहे हैं और अगर फर्म मिल भी रही है तो उससे रजिस्ट्रेशन कराने के लिए मिन्नते भी कर रहे हैं। क्योंकि जो दस्तावेज विभाग मांग रहा है वे उपलब्ध कराना उनके बूते से बाहर हैैैैं।
इस तरह के दस्तावेज मांगे जाने पर अब प्लंबर रजिस्ट्रेशन से पीछे हट रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि पूरे शहर भर के सभी उपखंडों में अभी तक 5 से 8 प्लंबर ने ही किसी तरह फर्म तलाश कर अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। विभाग ने प्लंबर रजिस्ट्रेशन के लिए 10 हजार की धरोहर राशि और 1 हजार रुपए पंजीयन शुल्क तय किया है।
पहले तो जलदाय विभाग के अफसरों ने आवेदन का प्रारूप ही जारी नहीं किया। इसके बाद 1967 में रजिस्ट्रेशन के लिए तय हुआ प्रारूप जारी कर दिया। अब प्रारूप में सिर्फ फर्म के नाम से ही प्लंबर के रजिस्ट्रेशन की बाध्यता के प्रावधान पर अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। उनका कहना है कि जो प्रारूप उच्च स्तर से दिया गया उसे ही जारी किया है।