पेयजल की गुणवत्ता जांच के लिए 75 करोड़ रुपए खर्च कर 250 ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं बनाई जा रही है। इसके लिए जलदाय विभाग ने 249 प्रयोगशालाओं के लिए भवन तलाश कर उनकी मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में 168 प्रयोगशाला भवनों की रिपेयर का काम चल रहा है। एक भवन पर विभाग करीब 5 लाख रुपए खर्च कर रहा है। 249 भवनों को मार्च तक तैयार करने की समय सीमा दी गई है। हालांकि बांरा जिले में एक ब्लॉक में अभी भवन चिह्नित नहीं किया गया है। यहां कोई तैयार भवन ही नहीं है। ऐसे में यहां तय समय पर प्रयोशाला बनना मुश्किल लग रहा है।
अगले माह उपकरण खरीद की प्रक्रिया शुरू
जलदाय विभाग ने 250 प्रयोगशालाओं में उपकरण खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर ली है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो फरवरी में उपकरण खरीद के लिए टेंडर कर लिए जाएंगे। इसके 120 दिन बाद में नई प्रयोगशालाएं शुरू होने की उम्मीद लगाई जा रही है। विभाग एक प्रयोगशाला पर करीब 30 लाख रुपए खर्च करेगा। इसके अलावा भवन मरम्मत पर एक प्रयोगशाला पर करीब 5 लाख रुपए अलग से खर्च किए जा रहे है। ऐसे में एक प्रयोगशाला पर करीब 35 लाख रुपए खर्च किए जा रहे है।
साल 2013—14 में भी हुई थी कवायद
प्रदेश में पानी गुणवत्ता जांच के लिए प्रयोशालाएं बनाने की कवायद शुरू हुई थी। जलदाय विभाग ने इसके लिए टेंडर भी कर लिए थे, हालांकि तक जगह नहीं मिल पाने से प्रयोगशालाओं का सपना अधूरा रह गया था। अब नए सिरे से प्रयोगशालाएं शुरू करने की तैयारी की गई, जिसमें जगह ही बजाय पहले से मौजूद भवनों में ही प्रयोगशालाएं शुरू करने की शर्त रखी गई। हालांकि इसकी मरम्मत के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है।
अभी सिर्फ जिला स्तर पर ही पानी की गुणवत्ता जांच
अभी प्रदेश में सिर्फ जिला स्तर पर ही पानी की गुणवत्ता जांच के लिए 33 प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, इनमें एक राज्य स्तर पर है बाकि जिलों में स्थापित की गई हैं।
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प्रयोगशालाएं इसी साल होगी शुरू
जलदाय विभाग के चीफ कैमिस्ट आर.के. मीना का कहना है कि ब्लॉक स्तरीय प्रयोगशालाएं इसी साल शुरू जाएंगी। प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर 249 प्रयोगशालाओं के लिए भवन तलाश कर लिए गए है। इनमें 168 भवनों में अभी रिपेयर का काम चल रहा है, जो मार्च तक पूरा हो जाएगा। फरवरी में उपकरण खरीद के टेंडर कर लिए जाएंगे। इसके बाद ब्लॉक स्तर पर पानी गुणवत्ता की जांच शुरू हो जाएगी।