scriptयहां छत पर बही ‘लापरवाही की नदी’…पानी की मारामारी…अफसर भूले जिम्‍मेदारी | water Waste in the office of Water Supply Department | Patrika News

यहां छत पर बही ‘लापरवाही की नदी’…पानी की मारामारी…अफसर भूले जिम्‍मेदारी

locationजयपुरPublished: Nov 03, 2018 12:50:20 pm

Submitted by:

dharmendra singh

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यहां छत पर बही ‘लापरवाही की नदी’…पानी की मारामारी…अफसर भूले जिम्‍मेदारी

गांधीनगर एसीई कार्यालय में व्यर्थ बह रहा पानी

जयपुर।
बाड़ ही खाए खेत… यह कहावत जलदाय विभाग पर पूरी तरह सटीक बैठती है। जल संरक्षण को लेकर प्रदेशवासियों को जागरूक करने के लिए विभाग हर साल करोड़ों रुपए का बजट निर्धारित करता है पैसा भी पानी की तरह बहाया जाता है, लेकिन अफसरों को जलदाय कार्यालय में ही पानी की बर्बादी नजर नहीं आ रही है। बीते शुक्रवार को कार्यालय की छत पर रखी पानी टंकियों का वॉल्व खराब क्या हुआ छत के एक बड़े हिस्से पर पानी का भराव हो गया। इसके साथ ही ड्रेनेज पाइप से होकर पानी नालियों तक जा पहुंचा, लेकिन जिम्मेदार अफसर इस पूरे घटनाक्रम से अनजान बने रहे।
टंकियों से रोजाना हजारों लीटर पानी बर्बाद
दरअसल, जल संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने वाले जलदाय कार्यालय का बुरा हाल है, गांधीनगर स्थित एसीई कार्यालय की छत पर रखी पानी टंकियों से रोजाना हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है, जबकि ठीक इसी छत के नीचे बैठ रहे अफसर और कर्मचारी पानी की बर्बादी पर मौन साधे बैठे हैं।
वॉल्व बदलने के निर्देश देने का तर्क
मामला गांधीनगर स्थित अतिरिक्त मुख्य अभियंता जयपुर रीजन कार्यालय से जुड़ा है। इस संबंध में एसीई कार्यालय भवन की मेंटीनेंस का जिम्मा संभाल रहे अधिशाषी अभियंता जेएसडी कटारा ने बताया कि छत पर रखी पानी टंकियों के खराब वॉल्व बदलने के निर्देश कर्मचारियों को पहले ही दे दिए थे। वॉल्व क्यों नहीं बदले गए, इस बारे में कर्मचारियों को जवाब-तलब किया गया है।
जलदाय विभाग आग लगने पर दमकलों को देगा पानी
उधर, अग्निमशमन वाहनों को संबंधित क्षेत्र के नजदीक के सरकारी पंप हाउसों से पानी का इंतजाम कराने का विभाग दावा कर रहा है, जलदाय विभाग की सूचना के अनुसार दिवाली पर सभी पंप हाउसों में पानी का पर्याप्त स्टॉक रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही पंपकर्मियों को आवश्यकता पडऩे पर पंप हाउस पहुंचने वाले अग्निशमन वाहनों को त्वरित कार्रवाई करते हुए पानी उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। गौरतलब है कि आग लगने वाले स्थानों के आस-पास पानी के स्त्रोत नहीं होने पर कई बार आग विकराल रूप धारण कर लेती है। वहीं अग्निशमन वाहनों में पानी भरने के लिए दूर तक दौड़ लगाने से जहां वक्त बर्बाद होता है। वहीं आग को काबू करने में देरी होने पर जनधन की हानि होने का अंदेशा भी बना रहता है।
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