लड़कियों को वर चुनने की मिलती है आजादी (Weird Marriage Traditions)
दरअसल, हमारे समाज में आज भी लड़कियों को जहां अपना वर चुनने की आजादी नहीं है, तो वहीं प्रेम-विवाह और भागकर शादी करना एक बड़े अपराध के रुप में देखा जाता है। जबकि माउंटआबू स्थित नक्की झील पर पीपल पूनम पर हर साल आदिवासी समाज द्वारा मेले का आयोजन होता है, यहां मेले में स्वयंवर की ऐसी अनूठी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें लड़कियों को मनचाहा वर चुनने की पूरी आजादी रहती है। लेकिन इसका अंदाज भी उतना ही खास होता है।
दरअसल, हमारे समाज में आज भी लड़कियों को जहां अपना वर चुनने की आजादी नहीं है, तो वहीं प्रेम-विवाह और भागकर शादी करना एक बड़े अपराध के रुप में देखा जाता है। जबकि माउंटआबू स्थित नक्की झील पर पीपल पूनम पर हर साल आदिवासी समाज द्वारा मेले का आयोजन होता है, यहां मेले में स्वयंवर की ऐसी अनूठी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें लड़कियों को मनचाहा वर चुनने की पूरी आजादी रहती है। लेकिन इसका अंदाज भी उतना ही खास होता है।
समाज के लोगों की भी रहती है सहमति
पुरानी और अनूठी परंपरा की बात करें तो मेले में स्वयंवर के दौरान आदिवासी समाज की लड़कियां खुद अपने पसंद का दूल्हा चुनती है। इस दौरान समाज के लोग भी
वहीं मौजूद रहते हैं और उनकी भी रजामंदी रहती है। सबसे हैरान करने बात कि वर चुनने से पहले हर युवती पहले अपने पिता से इसके लिए इजाजत लेती है और पिता
को माला पहनाती है। इसके बाद लडक़ी अपने पसंद के युवक को माला पहनाकर उसे अपने जीवनसाथी के रुप में चुनती है।
पुरानी और अनूठी परंपरा की बात करें तो मेले में स्वयंवर के दौरान आदिवासी समाज की लड़कियां खुद अपने पसंद का दूल्हा चुनती है। इस दौरान समाज के लोग भी
वहीं मौजूद रहते हैं और उनकी भी रजामंदी रहती है। सबसे हैरान करने बात कि वर चुनने से पहले हर युवती पहले अपने पिता से इसके लिए इजाजत लेती है और पिता
को माला पहनाती है। इसके बाद लडक़ी अपने पसंद के युवक को माला पहनाकर उसे अपने जीवनसाथी के रुप में चुनती है।
पसंद के लडक़े के साथ भाग भी सकती है लडक़ी
इस विवाह के लिए पहले तो पिता अपने पंसद के कुछ लडक़ों को चुनता है, और उन्हें एक जगह खड़ा करता है। जिसके बाद लडक़ी को पिता के आदेश के बाद उसमें से
किसी को पसंद करना होता है। लेकिन इसके बावजूद भी लडक़ी को कोई वर पसंद नहीं आता तो वह अपने पंसद के लडक़े को जीवनसाथी बना कर उसके साथ वहां से
भाग सकती है। जिसे हमारे समाज में आज भी अनुमति नहीं मिली है। हालांकि यहां भी लडक़ी द्वारा ऐसा करने पर गांव में समाज की पंचायत बैठती है, और फिर युवक
के परिजनों से हर्जाना वसूला जाता है। जिसके बाद ही दोनों को शादी करने की इजाजत मिलती है।
इस विवाह के लिए पहले तो पिता अपने पंसद के कुछ लडक़ों को चुनता है, और उन्हें एक जगह खड़ा करता है। जिसके बाद लडक़ी को पिता के आदेश के बाद उसमें से
किसी को पसंद करना होता है। लेकिन इसके बावजूद भी लडक़ी को कोई वर पसंद नहीं आता तो वह अपने पंसद के लडक़े को जीवनसाथी बना कर उसके साथ वहां से
भाग सकती है। जिसे हमारे समाज में आज भी अनुमति नहीं मिली है। हालांकि यहां भी लडक़ी द्वारा ऐसा करने पर गांव में समाज की पंचायत बैठती है, और फिर युवक
के परिजनों से हर्जाना वसूला जाता है। जिसके बाद ही दोनों को शादी करने की इजाजत मिलती है।
इसके पीछे है खास कहानी
आदिवासियों की इस खास परंपरा के पीछे सदियों पहले की एक प्रेमकथा जुड़ी हुई है। जिसका अनुसरण आज भी आदिवासी समाज के लोग करते हैं, और मेले में स्वयंवर
के जरिए लड़कियों को उनके पसंद का वर चुनने की आजादी देते हैं। जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है।
आदिवासियों की इस खास परंपरा के पीछे सदियों पहले की एक प्रेमकथा जुड़ी हुई है। जिसका अनुसरण आज भी आदिवासी समाज के लोग करते हैं, और मेले में स्वयंवर
के जरिए लड़कियों को उनके पसंद का वर चुनने की आजादी देते हैं। जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है।