जयपुर। पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) सांस्कृतिक पर्यटन (cultural tourism) का नया हब (new center) बनेगा। इसके लिए जोधपुर (Jodhpur), बाड़मेर (Barmer), जैसलमेर (Jaisalmer) और बीकानेर (Bikaner) जिलों का नया पर्यटक सर्किट बनाया जाएगा। इससे इन जिलों की सांस्कृतिक धरोहर को देश.विदेश में एक नई पहचान मिलेगी। इस सर्किट के बनने से देशी.विदेशी पर्यटकों को यहां की सांस्कृतिक विरासत (इन्टेन्जिबल कल्चरल हैरिटेज)के नए अनुभव मिलेंगे।
पश्चिमी राजस्थान में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से यूनेस्को के सहयोग से नया पर्यटक सर्किट बनाया जाएगा। नया पर्यटन सर्किट बनने से पश्चिमी राजस्थान के जोधपुरए बाड़मेरए जैसलमेर और बीकानेर जिलों में लोगों की कैपेसिटी बिल्डिंगए पर्यटन बाजार तक सीधी पहुंच हो सकेगी। कलाए कलाकारों व गांवों का विकास कर करीब 1500 ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में मौजूद सांस्कृतिक व हस्तकला का सरंक्षण होगाए वहीं लोक कलाओं को व्यापक प्रचार.प्रसार भी किया जाएगा। इसके लिए गुरुवार को पर्यटन भवन में पर्यटन व देवस्थान मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की उपस्थिति में यूनेस्को के कन्ट्री डायरेक्टर एरिक फाल्ट और पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना को 42 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना के तहत 10 नए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत स्थलों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। स्थानीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक एवं धरोहर शिक्षा व पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को परिचयात्मक भ्रमण करवाया जाएगा। स्थानीय गांवों में होने वाले मेलेए त्योहारों व उत्सवों को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों के माध्यम से पर्यटकों के लिए होम स्टे की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगीए जिससे परम्परागत कलाकारों व हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन मिल सकेगा।
जोधपुर के फलौदी के लांगा, मगणियार संगीतयज्ञों के माध्यम से संगीत पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसी प्रकार पारम्परिक हस्तशिल्प के गांवों के मिट्टी के बर्तन और दरी बनाने वाले कारीगारों के माध्यम से सिंद्यासनि और सालावास में शैक्षिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं कालबेलिया कलाकारों के माध्यम से चैपासनी, देजौर और प्रताप नगर क्षेत्र में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। बाड़मेर के शिव के मगणियार संगीतयज्ञों और बरनावा के लांगा संगीतयज्ञों के माध्यम से संगीत पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसी प्रकार चोहटन के कशीदेकारों के माध्यम से शैक्षिक पर्यटन को बढ़ाया जाएगा। जैसलमेर के करेलियाए बैयाए और खुरी क्षेत्र के मगणियार संगीतयज्ञों के माध्यम से संगीत पर्यटन व पोकरण क्षेत्र के टैरिकोटा कलाकारों के माध्यम से शैक्षिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं बीकानेर के पूगल के मिरासिस संगीतयज्ञों के माध्यम से संगीत पर्यटन एवं नापासर के हथकरघा कारीगरों के माध्यम से शैक्षिक पर्यटन को बढ़ावा देना भी परियोजना में शामिल हैं।