शनिवार को दोपहर बाद तक तो प्रदेश कार्यालय में हलचल रही लेकिन शाम होने से पहले ही सन्नाटा छा गया। रविवार को तो एेसा सन्नटा पसरा हुआ था कि वहां कोर्इ भी मौजूद नहीं था। वहीं पदाधिकारी दिन में तो चर्चा करते रहे कि शायद आज शाम तक प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला हो सकता है लेकिन इन्ही चर्चाओं में दिन गुजर गया।
हांलाकि दिल्ली में चार दिनों तक चले राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान कई नेताओं के नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सामने आए लेकिन नतीजा इतना ही रहा कि किसी भी नाम पर न तो शीर्ष नेतृत्व की कोई प्रतिक्रिया रही और न ही राज्य इकाई की ओर से कोई प्रतिक्रिया समाने आई।
वहीं सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अभी दिल्ली में हैं और वहां भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सभी राजनीतिक हलचलें थम सकी गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सोमवार को नीति आयोग की बैठक में भाग लेंगी और प्रदेश के मुददों पर चर्चा करेंगी और कल ही वे जयपुर भी लौट सकती हैं।
हांलाकि प्रदेश कार्यालय में दूर दराज के जिलों से कार्यकर्ता आते हैं, नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा करते हैं लेकिन उनके कुछ समय बाद जाते ही फिर सन्नाटा पसर जाता है। पार्टी कार्यालय आए कुछ पार्टी पदाधिकारियों से नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सवाल पूछा गया तो सभी ने चुप्पी साध ली और इतना ही कहा कि मामला उंचे लेवल का है और हमार बोलना ठीक नहीं है।