ये कहानी ब्रिटेन की 24 वर्षीय बेथ रोलेंड की है, जिसने 20 वर्ष की उम्र में मां को खो दिया। इस हादसे से बेथ टूट गई और अवसाद में चली गई। लेकिन कुछ दिन बाद उसने अवसाद के भंवर से निकलकर ऐसे ही पीडि़तों के आंसू पौंछने की ठानी। रोलेंड ने अपने दोस्तों की मदद से 2016 में ‘टॉक अबाउट लॉस’ नामक सोशल प्लेटफॉर्म तैयार किया, जो ऐसे ही शोक संतप्त युवाओं को संबल देता है। अब इनका संगठन ब्रिटेन में छह जगह सक्रिय है। रोलेंड कहती हैं, मैं किसी को सांत्वना देकर अपने दुख को कम कर लेती हूं। पिछले वर्ष बेथ ने नॉटिंघम, ब्रिस्टल, लंदन में संगठन की शुरुआत की, जो आज ब्रिटेन के छह शहरों में शोक संतप्त पीडि़तों को जीने के मायने सिखा रहा है। अगले वर्ष तक वे पूरे ब्रिटेन में संगठन को फैलाना चाहती हैं।
ऐस करती हैं सपोर्ट
बीथ अपने दोस्तों के साथ इस संगठन को चलाती हैं, जो अपनों को खो चुके युवाओं को अवसाद के भंवर से निकालकर जीवन के मायने सिखाती हैं और उन्हें कामयाब और संघर्षपूर्ण कहानियों के माध्यम से बेहतर कल के लिए प्रेरित करती हैं। उनके नेटवर्क का उद्देश्य 18 से 35 वर्ष के युवाओं को संताप से मुक्त करना है। इसको लेकर उन्होंने पॉडकास्ट भी शुरू किया है। सोशल मीडिया पर उनके काफी फोलोअर्स हैं।
बीथ अपने दोस्तों के साथ इस संगठन को चलाती हैं, जो अपनों को खो चुके युवाओं को अवसाद के भंवर से निकालकर जीवन के मायने सिखाती हैं और उन्हें कामयाब और संघर्षपूर्ण कहानियों के माध्यम से बेहतर कल के लिए प्रेरित करती हैं। उनके नेटवर्क का उद्देश्य 18 से 35 वर्ष के युवाओं को संताप से मुक्त करना है। इसको लेकर उन्होंने पॉडकास्ट भी शुरू किया है। सोशल मीडिया पर उनके काफी फोलोअर्स हैं।