जेलों में मिलने वाले मोबाइल व सिम के माध्यम उसके मालिकों का जेल प्रशासन पता लगाएगी।
जयपुर। जेलों में मिलने वाले मोबाइल व सिम के माध्यम उसके मालिकों का जेल प्रशासन पता लगाएगी। नाम-पता सामने आने के बाद जेल प्रशासन दोषी कैदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगी। इसके लिए जेल प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। हालाकि जेल अधीक्षक पर गाज गिरने के बाद भी
जयपुर जयपुर सेंट्रल जेल में लगातार मोबाइल मिलने का सिलसिला जारी है। इस सम्बंध में हाल में ही में एक और मामला लालकोठी थाने में दर्ज हुआ है। पिछले एक पखवाड़े की बात की जाए तो जेल में करीब चार दर्जन से अधिक मोबाइल, सिम व चार्जर मिल चुके है। मोबाइल के साथ मिलने वाली सिमों की जेल प्रशासन जांच करवाने में जुटा है। इसके लिए एक पूरी प्रक्रियागत योजना तैयार की जा रही है। पिछले कई सालों के दौरान जेल में मिलने वाले मोबाइल मालिकों का पता लगाने को लेकर जेल प्रशासन ने तत्परता नहीं दिखाई। लेकिन लगातार मोबाइल मिलने से हो रही किरकिरी के चलते अब जेल प्रशासन यह कदम उठाने जा रहा है। जेल में हर साल करीब सौ से अधिक मोबाइल, सिम व अन्य सामान मिलता है। लेकिन इस मामले में किसी कैदी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यहीं नहीं जेल में लगे जैमर को भी अपडेट करने की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। जेल में लगे जैमर टू जी व थ्री जी तकनीकी के है। जबकि वर्तमान में फोर जी व फाइव जी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। जेल में बैठ कर बदमाश अपना गिरोह चलाने के साथ ही वारदातों को भी गुर्गो की मदद से अंजाम दे रहे है। रविवार को जेल में तलाशी के दौरान एक दर्जन मोबाइल, दस चार्जर, दो मैमोरी कार्ड, सात ईयरफोन और चार-पांच मोबाइल बेट्री मिली है। एक पखवाड़े से जेल में लगातार सर्च अभियान चला रहा है। अब तक जेल में मिले मोबाइलों को लेकर जेल प्रशासन खानापूर्ति करता आ रहा है। लेकिन जेल प्रशासन ने कभी इन मोबाइल के मालिकों का पता लगाने का प्रयास नहीं किया। जबकि मोबाइल या सिम खरीदने वाले व्यक्ति को अपनी आईडी देनी होती है। इसके बाद ही उसे सिम या मोबाइल मिलता है। मोबाइल के मालिक की जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाने के पीछे जेल प्रशासन की कैदियों से मिलीभगत की बात कहीं जा रही है।