राजस्थान को मिले इस अवॉर्ड के पीछे आखिर कहानी क्या है
जयपुरPublished: Sep 26, 2019 06:47:22 pm
farming राजस्थान ने देश में अपना लोहा मनवा दिया है। हजारों किलोमीटर दूर से पहुंचे पानी की बूंद-बूंद सहेजकर रेगिस्तान को नखलिस्तान में बदल लिया है। जल संरक्षण, सिंचाई जल के किफायती इस्तेमाल के लिए भारत सरकार ने प्रथम पुरस्कार दिया है। राजस्थान की नर्मदा नहर परियोजना को जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पहला पुरस्कार मिला है।
यही नहीं, इंदिरा गांधी नहर परियोजना के दूसरे चरण में तेजपुर नहर प्रणाली को भी सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाकर पानी बचाने के लिए द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये अवॉर्ड नई दिल्ली में छठे इंडिया वाटर वीक 2019 में दिए गए।
नर्मदा से बदली दो जिलों की तकदीर
नर्मदा नहर परियोजना भारत की पहली बड़ी परियोजना है, जिसमें पूरे 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से खेती की जा रही है। राजस्थान को नर्मदा नदी से आवंटित 0.5 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग जालोर व बाड़मेर जिलों के 2.46 लाख हैक्टेयर कमांड में सिंचाई के साथ-साथ 3 शहरों व 1541 गांवों को पेयजल देने में हो रहा है।
दुगनी सिंचाई की करामात
हालांकि परियोजना में कमांड क्षेत्र पहले 1.35 लाख हैक्टेयर माना गया था, यानी इतने ही क्षेत्र में सिंचाई होनी थी। लेकिन राजस्थान ने सिंचाई का तरीका बदलकर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली बना लिया। नतीजा ये हुआ कि 1.35 लाख हैक्टेयर सिंचाई के लिए आए पानी से 2.46 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने लगी।
असर भी कमाल का
परियोजना के कारण जालोर व बाड़मेर के रेतीले इलाके आज खेती से सरसब्ज हो रहे हैं और यहां अनार जैसे फलों की खेती भी संभव हुई है। परियोजना का सिंचाई प्रबंधन काश्तकारों की गठित 2232 जल उपयोगिता संगमों की ओर से किया जा रहा है।
यहां भी पानी को सहेजा
इंदिरा गांधी नहर परियोजना की दूसरी स्टेज में तेजपुर माईनर में पानी का आकलन सिर्फ 2 क्यूसेक प्रति 1000 एकड़ निर्धारित किया गया है। सामान्य प्रचलित पद्धति से 1857 हैक्टेयर क्षेत्र में से केवल औसतन 144 हैक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई हो पाती थी।
दस गुना बढ़ गई सिंचाई
2012-13 में सरकार ने यहां फव्वारा पद्धति से सिंचाई प्रणाली शुरू करवाई और देखते देखते कायापलट हो गई। पहले के 144 हैक्टेयर की जगह उतने ही पानी में अब 1111 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है और खेतीबाड़ी में भी उतना ही इजाफा हुआ है।