— कोई भी व्यक्ति सदन के बाहर विधायक के अनैतिक आचरण की लिखित शिकायत विधानसभा अध्यक्ष को दे सकता है। अध्यक्ष यह शिकायत स मिति को दे सकता है।
— सदन के अंदर भी किसी विधायक का अनैतिक आचरण पाया जाता है तो समिति को मामला सौंपा जा सकता है।
— समिति के अध्यक्ष चाहे तो वे खुद भी प्रसंज्ञान ले सकते हैं। हालांकि,आज तक समिति के अध्यक्ष ने भी किसी तरह का प्रसंज्ञान अपने स्तर पर नहीं लिया है।
— शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई के आदेश दिए जा सकते हैं।
— समिति किसी भी मामले की जांच के लिए कोई जांच एजेंसी का इस्तेमाल कर सकती है।
— समिति को तीन माह में शिकायत का निस्तारण करना है। जरूरत महसूस होने पर समिति यह समय बढा भी सकती है।
— समिति चाहे तो शिकायत की जांच करने से इंकार भी कर सकती है। जांच बंद भी कर सकती है।
समिति के पास कोई शिकायत पहुंचती है और यदि शिकायतकर्ता कोई आम व्यक्ति है तो उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी। यही नहीं, जिस विधायक की शिकायत समिति को मिली है। उसकी पहचान भी उजागर नहीं होगी। शिकायत की जांच होने पर विधायक को भी अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।
जांच रिपोर्ट रखी जाएगी सदन में
समिति जांच के बाद अपना प्रतिवेदन विधानसभा अध्यक्ष को पेश करेगी। अध्यक्ष सदन में इस प्रतिवेदन पर सवाल कर सकेगा। इसके बाद ही तय होगा कि विधायक पर क्या कार्यवाही की जाए।
इनका कहना है कमेटी के पास कोई मामला रैफ़र होकर आएगा तभी कमेटी किसी मामले की जांच करेगी। फ़िलहाल कोई मामला नहीं है । – दीपेन्द्र सिंह शेखावत , अध्यक्ष, सदाचार समिति , राजस्थान विधानसभा