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ये कैसी सदाचार समिति, जिसको सात साल में एक भी विधायक की शिकायत नहीं मिली

locationजयपुरPublished: Jun 28, 2022 03:58:47 pm

— विधानसभा ने सात साल पहले विधायकों के आचरण को लेकर बनाई थी सदाचार समिति— सदन के अंदर और सदन के बाहर विधायकों के गलत आचरण की शिकायतों पर करनी होती है सुनवाई— आज तक ना विधानसभा अध्यक्ष ने और ना ही जनता ने किसी तरह की शिकायत इस समिति के पास पहुंचाई

ये कैसी सदाचार समिति, जिसको सात साल में एक भी विधायक की शिकायत नहीं मिली

ये कैसी सदाचार समिति, जिसको सात साल में एक भी विधायक की शिकायत नहीं मिली

अरविन्द सिंह शक्तावत

जयपुर।
विधायकों के गलत आचरण की शिकायतों के लिए विधानसभा में गठित की गई सदाचार समिति सिर्फ कागजों में ही बन कर रह गई है। सात साल पहले पहली बार यह सोचकर समिति का गठन किया गया था कि विधायक के आचरण को लेकर मिली शिकायतों की जांच की जाएगी और यदि विधायक दोषी पाया गया तो उस पर कार्रवाई भी होगी, लेकिन कमेटी की हालत यह है कि आज तक एक भी मामला इस कमेटी को नहीं सौपा गया। ना तो विधानसभा अध्यक्ष और ना ही जनता में से किसी ने इस समिति को विधायकों की शिकायत की है।
विधायकों के सदन और सदन के बाहर आचरण की शिकायतों के लिए इस कमेटी का गठन किया गया था। वर्तमान में इस कमेटी का अध्यक्ष पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दीपेद्र सिंह शेखावत को बना रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, विधायक सूर्यकांता व्यास, पब्बा राम विश्नोई और संदीप शर्मा इस सदाचार समिति के सदस्य हैं। लेकिन, समिति के ये सभी सदस्य साल में एक बार भी किसी तरह की बैठक के लिए नहीं जुट पाए। इसका सीधा कारण है कि समिति के पास किसी विधायक की शिकायत ही नहीं पहुंची।
इस तरह से की जा सकती है शिकायत
— कोई भी व्यक्ति सदन के बाहर विधायक के अनैतिक आचरण की लिखित शिकायत विधानसभा अध्यक्ष को दे सकता है। अध्यक्ष यह शिकायत स मिति को दे सकता है।
— सदन के अंदर भी किसी विधायक का अनैतिक आचरण पाया जाता है तो समिति को मामला सौंपा जा सकता है।
— समिति के अध्यक्ष चाहे तो वे खुद भी प्रसंज्ञान ले सकते हैं। हालांकि,आज तक समिति के अध्यक्ष ने भी किसी तरह का प्रसंज्ञान अपने स्तर पर नहीं लिया है।
समिति के पास हैं ये अधिकार
— शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई के आदेश दिए जा सकते हैं।
— समिति किसी भी मामले की जांच के लिए कोई जांच एजेंसी का इस्तेमाल कर सकती है।
— समिति को तीन माह में शिकायत का निस्तारण करना है। जरूरत महसूस होने पर समिति यह समय बढा भी सकती है।
— समिति चाहे तो शिकायत की जांच करने से इंकार भी कर सकती है। जांच बंद भी कर सकती है।
शिकायतकर्ता—विधायक की पहचान उजागर नहीं होगी
समिति के पास कोई शिकायत पहुंचती है और यदि शिकायतकर्ता कोई आम व्यक्ति है तो उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी। यही नहीं, जिस विधायक की शिकायत समिति को मिली है। उसकी पहचान भी उजागर नहीं होगी। शिकायत की जांच होने पर विधायक को भी अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।

जांच रिपोर्ट रखी जाएगी सदन में
समिति जांच के बाद अपना प्रतिवेदन विधानसभा अध्यक्ष को पेश करेगी। अध्यक्ष सदन में इस प्रतिवेदन पर सवाल कर सकेगा। इसके बाद ही तय होगा कि विधायक पर क्या कार्यवाही की जाए।

इनका कहना है

कमेटी के पास कोई मामला रैफ़र होकर आएगा तभी कमेटी किसी मामले की जांच करेगी। फ़िलहाल कोई मामला नहीं है । – दीपेन्द्र सिंह शेखावत , अध्यक्ष, सदाचार समिति , राजस्थान विधानसभा
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