ब्रेड, बिस्कुट पर भी गिर सकती गाज खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि गेहूं की कीमतें अब तक 46 फीसदी तक बढ़ गई हैं। इसका एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल है। बाजार में इसकी कीमत एमएसपी से 20 फीसदी अधिक है। इसी तरह आटे का भाव अप्रेल में 32 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गए हंै। यह जनवरी 2010 के बाद सबसे ज्यादा है। गेहूं के आटे की खुदरा महंगाई दर मार्च में 7.77 फीसदी पहुंच गई जो मार्च 2017 के बाद सबसे ज्यादा है। गेहूं में तेजी से एफएमसीजी कंपनियां आने वाले समय में आटे से बनने वाले उत्पादों के दाम 15 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई चिंता
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई चिंता
कारोबारियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं का उत्पादन कम होने से आटे की कीमतों में तेजी आई है। इसके अलावा युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित होने से विदेशी बाजारों में भारतीय गेहूं की मांग भी ज्यादा रही। डीजल के दामों में तेजी से माल भाड़ा बढऩे के कारण भी गेहूं और आटे के भाव आसमान छू रहे हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन ज्यादा रहने से थोड़ी राहत मिल सकती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 11 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यह 2020-21 में अनुमानित 10.9 करोड़ टन की तुलना में ज्यादा है।