राजस्थान पत्रिका ने १० दिसंबर को ‘पीडि़ताओं के लिए पैसा नहींÓ समाचार प्रकाशित कर पीडि़त प्रतिकर स्कीम में चल रही कमी को उजागर किया था। प्रदेश में कई पीडि़तों को आवेदन स्वीकृत होने के बाद भी बजट की कमी के कारण उन्हें रुपए नहीं मिल पा रहे थे। समाचार प्रकाशित होने के बाद सीएमओ ने विधि विभाग व गृह विभाग से रिपोर्ट मांगी थी और वित्त विभाग को बजट आवंटन के निर्देश दिए।
गौरतलब है कि 2012 से प्रभावी राजस्थान पीडि़त प्रतिकर स्कीम के तहत विभिन्न अपराधों में पीडि़तों को प्रतिकर के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। स्कीम के तहत इस वर्ष 18 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया था। जिसमें 17.95 करोड़ रुपए प्रतिकर के रूप में दिए जा चुके हैं। फिर भी प्रदेश में 446 पीडि़तों के 4.26 करोड़ रुपए बच रहे थे। बजट न होने के कारण इनका इंतजार बढ़ता ही जा रहा था।