पानी तथा सुरक्षा मिली तो रेगिस्तान उगलने लगा सोना
जयपुरPublished: Feb 25, 2020 05:34:06 pm
सात दशक में बदल गई सरहद की सूरत
सुरक्षा भी चाक चौबंद है। इतना ही नहीं पर्यटक भी बेखौफ होकर सरहद को देखने आ रहे हैं।
पानी तथा सुरक्षा मिली तो रेगिस्तान उगलने लगा सोना
सुरक्षा एवं नहरी पानी ने सरहदी क्षेत्र की तस्वीर बदल दी है। आजादी के समय जहां सरहद पर ऊंचे-ऊंचे टीले व रेगिस्तान नजर आता था, वहां अब हरियाली छाई है। सुरक्षा भी चाक चौबंद है। इतना ही नहीं पर्यटक भी बेखौफ होकर सरहद को देखने आ रहे हैं। सीमा क्षेत्र के कुछ गांव तो बॉलीवुड को भी भा रहे हैं। आजादी के बाद राज्य के चार जिलों से लगती सीमा की सूरते अब पहले जैसे नहीं रही। यहां की जमीन अब सोना उगल रही है। मौके की पड़ताल करती यह ग्राउंड रिपोर्ट।
श्रीगंगानगर बॉर्डर- सौलर ऊर्जा की पहुंच
वीरान दिखाई देने वाले खेत अब हरेभरे खेतों में बदल गए है। पलायन थम गया है। आजीविका के साधन भी बढ गए है। अधिकांश इलाका उपजाऊ मैदानी प्रदेश में तब्दील हो गया है। पानी के बेहतर उपयोग के लिए बॉर्डर एरिया में हर खेत में पानी के स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध है। पक्के खाळों के निर्माण से पानी की बचत हुई है। खेतों में पानी लगाने के बाद बचा हुआ पानी डिग्गियों में स्टोर हो रहा है। फव्वारा सिस्टम को अपनाकर लोग बारानी खेतों में भी फसल ले रहे है। सीमा क्षेत्र के लगभग हर खेत तक सौलर ऊर्जा की पहुंच हो गई है।
बीकानेर बॉर्डर- नजर आती है हरियाली
क्षेत्र के गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक सड़कें बन चुकी है। सीमा पर आबाद गांवों के लोग आसानी से रह रहे है। भारत पाक सीमा पर बसे कस्बे खाजूवाला में नहर 1978 में आई। आज यहां की जमीन फसल रूपी सोना उगा रही है। इतना ही नहीं यहां की जमीन पंजाब की जमीन को भी पछाडऩे लग गई। सन 1995 में बीबीसी लंदन द्वारा खाजूवाला मण्डी को देश की सबसे तेज गति से विकास करने वाली मण्डी भी बताया था। यहां विभिन्न संस्कृति के लोग अमनचैन से रह रहे है। पूरे देश में चाहे साम्प्रदायिकता के नाम पर कितनी भी आग लगी हो लेकिन इस क्षेत्र ने ऐसा मंजर नहीं देखा।
जैसलमेर बॉर्डर -बॉलीवुड की पहली पसंद
पर्यटन व सीमा दर्शन के चलते यहां पर्यटकों का रुख बढ़ा है। हजारों पर्यटक हर साल सीमांत क्षेत्र को देखने पहुंचते हैं। सेना ने भी लोंगेवाला क्षेत्र में वार म्यूजियम स्थापित कर बॉर्डर टूरिज्म को प्रोत्साहन दिया है। फिल्म शूटिंग के लिए रणाऊ क्षेत्र चर्चित है। हाल ही में बादशाहो फिल्म की शूटिंग भी यहीं हुई थी। मूलभूत सुविधाओं के साथ सुरक्षा भी बढ़ी है। तस्करी व घुसपैठ पर काफी हद तक अंकुश लग चुका है। सरहदी गांवों में स्कूल खुलने से शिक्षा का उजियारा फैला है। सरहद गांवों को ग्राम पंचायत मुख्यालय बनाए जाने से विकास के द्वार खुले हैं तथा पलायन भी थमा है।
बाड़मेर बॉर्डर- बढ़ गई कुंओं की संख्या
बाड़मेर जिले के धोरों में अब 40 हजार 386 कृषि कुएं हो चुके है। डेढ़ दशक पहले इनकी संख्या महज पांच हजार ही थी। अभी यहां पर एक लाख 30 हजार 386 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र हो गया है। ऐसे में रेगिस्तान हराभरा हो रहा है। गुड़ामालानी व चौहटन के कुछ भाग में नमज़्दा नहर आने के बाद चारों ओर हरियाली नजर आती है। द्विफसली इलाका बढ़ रहा है। हालांकि बाड़मेर का क्षेत्रफल 28 हजार 387 वर्ग किमी है, जो विशाल है। ऐसे में बड़ा इलाका आज भी रेगिस्तानी है, जहां रेत के ऊंचे-ऊंचे टीले व दुर्गम क्षेत्र है।