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देश की पहली ट्रांसजैंडर इंजीनियर मालिनी दास वोटर आइडी के अभाव में नहीं दे पाई वोट

locationजयपुरPublished: Dec 07, 2018 07:45:32 pm

Submitted by:

Jaya Sharma

वैयर इज माइ राइट टू वोट हमारी कम्यूनिटी के प्रति क्या नहीं गई दिखाई गई गंभीरता

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देश की पहली ट्रांसजैंडर इंजीनियर मालिनी दास वोटर आइडी के अभाव में नहीं दे पाई वोट

जयपुर. 22 वर्षीय मालिनी दास इस बार वोटिंग को लेकर खासी उत्साहित थीं, क्योंकि 18 साल की होने के बाद यह उनका पहला मौका था, जब वह वोट दे सकती थी। लेकिन कोशिशों के बाद भी उनका वोटर आईडी नहीं बन पाया। यह स्थिति देश की पहली ट्रांसजैंडर इंजीनियर मालिनी दास के साथ-साथ ट्रांसजैंडर कम्यूनिटी के बहुत से लोगों की हैं, जो वोटर आईडी के अभाव में वोट देने से वंचित रह गए। मालिनी कहती है ‘यदि प्रशासन हमारी कम्यूनिटी के प्रति गंभीरता दिखाती तो शायद मैं भी वोट दे पाती। हमें लगा था कि इस चुनाव में हमारी सशक्त भागीदारी होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस बार भी हमारी आइडी नहीं बनीं। राजस्थान में गिने-चुने ट्रांसजेंडर के पास ही वोटर आइडी है। उल्लेखनीय है कि मालिनी चार साल पहले वैस्ट बंगाल से जयपुर आईं थी, इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की।
खत्म हो भेदभाव और जातिवाद
मालिनी कहती हैं कि ‘चुनाव के बाद भले ही कोई भी जीते, लेकिन विकास भेदभाव और जातिवाद से ऊपर उठकर होना चाहिए। बात सिर्फ हमारी कम्यूनिटी की नहीं हैं, बल्कि उन सभी की हैं, जो सरकार से विकास की आस करती है।Ó
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हम नहीं है वोटर बैंक
पिछले कई सालों से ट्रांसजैंडर के राइट्स के लिए खड़ी पुष्पा बताती हैं कि ‘पूरे राजस्थान में 2011 की जनगणना के अनुसार 16550 ट्रांसजेंडर हैं और आज इनकी संख्या एक लाख तक पहुंच गई होगी। लेकिन फिर भी इस बार राज्यभर से सिर्फ 348 ट्रांसजैंडर की ही वोटर आइडी बनी हैं। इससे यह साफ होता है कि सरकार हमें सोसायटी का हिस्सा नहीं मानती है। उन्हें हमारे वोट की कोई अहमियत नही हैं।Ó निर्वाचन आयोग सितम्बर में डेटा रिलीज करके कहता है, कि सभी ट्रांसजेंडर की वोटर आइडी बननी चाहिए थी, उन्हें हमारी याद चुनाव से तीन महीने पहले आई, जबकि पांच साल से कोई पूछने वाला नहीं था।

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