जमीन आरक्षित, ग्रामीण बेखबर बताया जाता है कि श्मशान के लिए करीब 2 हजार मीटर जमीन आरक्षित की गई है। यह जमीन मौके पर कहां है, यह गांव वालों को पता नहीं है। ग्रामीणों को न तो जमीन बताई गई है, न ही श्मशान के लिए कोई निर्माण कराया गया है। ऐसे में आज भी दोनों गांव में किसी की मौत होती है तो उसका अन्तिम संस्कार रिंग रोड के मुख्य कॉरिडोर वाले स्थान पर ही किया जा रहा है।
सरकार के दावे में बना बाधा लोअर लीफ की तरह यह श्मशान भी सरकार के दावे में बाधा बना है। गत 20 फरवरी को ही पीडब्ल्यूडी मंत्री युनूस खान ने विधानसभा में दावा किया था कि रिंग रोड काम निर्धारित मियाद से 6 माह पहले पूरा होगा। गौरतलब है कि एनएचएआई ने रिंग रोड परियोजना की अपोइंटेड तिथि 19 जनवरी को जारी की। अनुबंधित कंपनी गावर कंस्ट्रक्शन के लिए इससे 15 माह के भीतर प्रोजेक्ट निर्माण पूरा करने की मियाद है। मौके पर काम शुरू हो चुका है। हालांकि 15 माह से 6 माह पहले काम पूरा होने का मतलब सितम्बर तक प्रोजेक्ट तैयार होना है।
रिंग रोड आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच होगी। आगरा रोड व अजमेर रोड के अलावा टोंक रोड से भी इस पर चढऩे के लिए स्ट्रक्चर (क्लोअर लीफ डिजाइन की तरह) बनेगा। यह बहुत महत्वपूर्ण और तकनीक युक्त है, इसलिए एनएचएआई इसके लिए अलग से टेंडर करेगा। जेडीए ने अभी तक क्लोअर लीफ स्ट्रक्चर के लिए जमीन ही अवाप्त नहीं की है। ऐसे में प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा होने की उम्मीद कम है।
श्मशान की कहानी
आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच 47 किमी. की रिंग रोड पर वाटिका रोड के पास खेतापुरा व श्यामपुर बुहारिया गांव के बीच श्मशान है। श्मशान रिंग रोड के मध्य स्थित 9 0 मीटर के कॉरिडोर के बीच है। जेडीए ने वर्ष 2015 में अभियान चलाकर किसानों से जमीन का कब्जा लिया तब इस श्मशान का भी कब्जा लिया था। लेकिन ग्रामीणों को अब तक यह नहीं बताया गया कि नए श्मशान की भूमि कहां है।
आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच 47 किमी. की रिंग रोड पर वाटिका रोड के पास खेतापुरा व श्यामपुर बुहारिया गांव के बीच श्मशान है। श्मशान रिंग रोड के मध्य स्थित 9 0 मीटर के कॉरिडोर के बीच है। जेडीए ने वर्ष 2015 में अभियान चलाकर किसानों से जमीन का कब्जा लिया तब इस श्मशान का भी कब्जा लिया था। लेकिन ग्रामीणों को अब तक यह नहीं बताया गया कि नए श्मशान की भूमि कहां है।
दो चरणों में होगा काम पहले चरण (959 करोड़ रु. लागत ) में रोड व फ्लाईओवर का निर्माण, जबकि तीनों राजमार्ग से जोडऩे के लिए बनने वाले स्ट्रक्चर का काम दूसरे चरण में होगा। इसकी निविदा अलग से की जाएगी, जिस पर करीब 250 करोड़ रुपए की लागत आएगी।