लॉकडाउन से जाम हुआ दाना तो पशुओं को कहां से खिलाएं खाना
जयपुर. कोरोना वायरस केे फैलाव को रोकने के चलते देशच्यापी लॉकडाउन के कारण सूअर पालन उद्योग को न केवल आर्थिक संकट का सामना कर रहा है बल्कि उसके समक्ष सूअरों के खान पान की समस्या उत्पन्न हो गई है। सूअर पालन करने वाले किसान सूअर आपूर्ति के ऑर्डर के बावजूद यातायात पर प्रतिबंध के कारण न तो इसकी आपूर्ति कर पा रहे है और न ही सूअर के नए बैच का पालन शुरू कर पा रहे हैं।
लॉकडाउन से जाम हुआ दाना तो पशुओं को कहां से खिलाएं खाना
उल्लेखनीय है कि सूअर का एक समय तक ही शारीरिक विकास होता है इसके बाद वह घाटे का सौदा हो जाता है। सूअर का शारीरिक विकास आम तौर पर आठ नौ माह तक तेजी से होता है उसके बाद इसके खाने पर खर्च अधिक होता है और आर्थिक लाभ कम होता है। देश के कई राज्यों से पूर्वोत्तर क्षेत्र को सूअर की आपूर्ति की जाती है लेकिन लॉकडाउन के कारण सड़क और रेल यातायात के बंद होने से ऑर्डर के बावजूद इसकी आपूर्ति नहीं की जा रही है। किसान इसके कारण सूअर के नए बैच का पालन नहीं शुरू कर पा रहे है।
जानकारी के अनुसार अकेले पंजाब से पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्रति माह औसतन पांच से छह हजार सूअर जाते थे लेकिन लॉक डाउन के बाद आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हुई है। अब तैयार सूअर को अधिक खाना देना पड़ता है जबकि उसका शारीरिक विकास बाधित हो गया है जो किसानों के लिए नुकसानदायक है। खेती के साथ पशुपालन गतिविधियों से जुड़े छोटे किसान पांच से दस सूअर का पालन करते है जबकि बड़े किसान 300 से 400 तक सूअर का पालन करते हैं। छोटे किसान आम तौर पर काफी गरीब हैं जबकि बड़े किसान बैंक से कर्ज लेकर सूअर फार्म चलाते हैं। छोटे किसान होटल और रेस्टोरेंट के बचेखुचे खाने को सूअर को खिलाते थे लेकिन होटल और रेस्टोरेंट अब बंद हो गए है।
बड़े किसान अनाज खिलाते थे लेकिन पिछले दिनों मक्का और बाजरे कि कीमतों में बढ़ोतरी हो जाने से समस्या उत्पन्न हो गई थी। राज्य सरकार ने किसानों की इस समस्या के समाधान के लिए अनुदानित दर पर 1585 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं देने का निर्णय किया है। पंजाब में कुछ लोग बच्चे के लिए सूअर पालन करते है जबकि कुछ किसान मांस के लिए इसका पालन करते हैं। सूअर आठ से नौ माह में 90 से 100 किलो का हो जाता है। उसके मांस की बाजार में भारी मांग है। अधिकतर लार्ज व्हाइट यार्क शायर किस्म के सूअर का पालन किया जाता है। यह काम लागत से अधिक मुनाफा देता है। यह प्रतिदिन ढाई से तीन किलो दाना खाता है तो इसके मांस में करीब एक किलो की वृद्धि होती है। इस नस्ल का सूअर साल में दो बार बच्चा देता है और एक बार में आठ से दस बच्चे तक देता है।