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किसान आत्महत्या के मामले कौन सा विभाग देखेगा, नहीं हुआ तय

locationजयपुरPublished: Nov 14, 2019 02:00:55 am

Submitted by:

Ankit

not decided
किसानों के आत्महत्या मामलों की समीक्षा

Farmer Suicide

किसान ने की खुदकुशी

जयपुर. कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के आत्महत्या मामलों की समीक्षा कौनसा विभाग करेगा, यह सीएस की बैठक में भी तय नहीं हुआ। कृषि विभाग के हाथ खींचने के बाद सहकारी विभाग व गृह विभाग भी यह जिम्मेदारी लेने से मना कर चुके हैं। जिम्मेदारी तय करने के लिए ही सीएस ने बुधवार को तीनों विभागों की बैठक बुलाई लेकिन अन्तिम निर्णय नहीं हो पाया।
प्रदेश में कर्जमाफी की योजना तैयार करने के लिए अन्तर्विभागीय समिति बनाई गई थी। उसने उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने तथा कर्ज के चलते आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद की नीति बनाने की सिफारिश की थी। नोडल विभाग तय करने के लिए सबसे पहले कृषि विभाग को चुना गया लेकिन उसने हाथ खड़े कर दिए। विभाग के कर्ता-धर्ताओं ने साफ कह दिया कि यहां उन्नत खेती और उपज बेचने के लिए मार्केटिंग का काम किया जाता है। लोन, खराबे पर मुआवजा व आर्थिक सहायता देना विभाग के जिम्मे नहीं है। सहकारी विभाग ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि विभाग मुख्य रूप से अल्पकालीन कृषि ऋण वितरण का काम करता है। किसानों के ऋण मुख्य रूप से राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए हुए हैं। इसी तरह गृह विभाग ने खुद को आपराधिक मामलों की तफ्तीश तक सीमित रखा है। नोडल विभाग तय नहीं होने पर सीएस डीबी गुप्ता ने बुधवार को तीनों विभागों की बैठक बुलाई। इसमें कृषि व सहकारिता सचिव नरेश पाल गंगवार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप व अन्य अधिकारी उपस्थित थे लेकिन बिना किसी निर्णय के ही बैठक समाप्त कर दी गई। अब इसका निर्णय मुख्यमंत्री करेंगे।
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ये किसान कर चुके हैं आत्महत्या

वर्ष —— जिला —— किसान का नाम —— आत्महत्या का कारण
2015 —— बूंदी —— प्रेमशंकर मीना —— फसल खराबे से परेशान

2015 —— जालौर —— प्रतापराम मेघवाल —— बरसात में मकान गिरने से परेशान
2017 —— जालौर —— गुलाबाराम भील —— आर्थिक तंगी से परेशान
2018 —— भरतपुर —— बलदेव गुर्जर —— कर्ज से परेशान
2018 —— कोटा ग्रामीण —— लक्ष्मीचंद माली —— कारण स्पष्ट नहीं

2018 —— कोटा ग्रामीण —— हुकमचंद —— कारण स्पष्ट नह

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