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जयपुर

अब देखने को नहीं मिलेगा व्हाइट टाइगर,नहीं रहा RAJA

नहीं रहा प्रदेश का इकलौता सफेद बाघनर बाघ राजा की मौतकई दिनों से खराब चल रहा था स्वास्थ्यआईवीआरआई बरेली भेजे गए सैम्पल

जयपुरAug 04, 2020 / 05:56 pm

Rakhi Hajela

अब देखने को नहीं मिलेगा व्हाइट टाइगर,नहीं रहा RAJA

अब देखने को नहीं मिलेगा व्हाइट टाइगर,नहीं रहा RAJA

प्रदेश के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से आई बुरी खबर से वाइल्ड लाइफ लवर्स अभी उबर भी नहीं पाए थे कि नाहरगढ़ बायो पार्क से भी कुछ एेसी ही खबर आ गई। नाहरगढ़ बायो पार्क में रहवास कर रहे सफेद नर बाघ राजा की भी मौत हो गई। आपको बता दें कि पिछले कई दिनों से राजा की खुराक कम हो गई थी। उसका स्वास्थ्य भी खराब चल रहा था और उसके यूरिन में खून भी आ रहा था। राजा का उपचार किया जा रहा था। हाल ही में हाथियों के स्वास्थ्य परीक्षण के मिनिस्ट्रिी ऑफ एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट दिल्ली की ओर से एक दल भेजा गया था। इसी दल में शामिल डॉक्टर मनोहरन और डॉक्टर करीकलन ने भी सफेद बाघ राजा का परीक्षण किया था और उसके यूरिन का नमूना लेकर जांच के लिए बरेली लैब भेजा गया था। आईवीआरआई बरेली के वैज्ञानिकों से सलाह कर राजा की दवाईयां शुरू की कर दी गई थीं और उसे रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया गया था, जहां उसकी हालात में कुछ सुधार बताया गया था। आपको बता दें कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत राजा को दिल्ली चिडि़याघर से यहां लाया गया था और यहां बाघिन सीता के साथ इसकी जोड़ी बनाई गई थी लेकिन सीता की भी बीमारी के कारण गत वर्ष मौत हो गई।
लगातार मर रहे वन्यजीव
आपको बता दें कि इससे पूर्व ९ और १० जून को बायो पार्क में बिग कैट फैमिली के दो सदस्यों की मौत हो गई थी। टाइगर रूद्र की ९ जून को मौत हो गई थी और अगले ही दिन १० जून को शेर सिद्धार्थ की मृत्यु हो गई। दोनों में एक ही बीमारी के लक्षण मिले थे। उन दोनों ने भी इसी तरह से खाना पीना बंद कर दिया था जिस प्रकार से राजा ने पिछले कुछ दिनों से किया हुआ था। उन दोनों की मौत की वजह लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी को माना गया था जो कि चूहों और नेवलों के पेशाब से होती है। दोनों के सैम्पल आईवीआरआई बरेली भेजे गए थे जहां से अब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आई है।
पहला मामला नहीं
आपको यह भी बता दें कि राजा से पूर्व भी यहां कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। गत वर्ष 19 सितंबर को शेरनी सुजान, 21 को शावक रिद्धि और 26 सितंबर को सफेद बाघिन सीता की मौत हो गई थी। इसके बाद ९ और १० जून को रुद्र और सिद्धार्थ की मौत हुई। शेरनी तेजिकी की मौत भी नाहरगढ़ बायो पार्क में हुई थी और उसकी मौत की वजह लकवे को माना गया। सफेद बाघिन रंभा और उसके दोनों शावक भी इस प्रकार मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
संदेह में चिकित्सकों की भूमिका
जिस तरह जानवरों की मौत हो रही है उसको देखते हुए यहां डॉक्टर की भूमिका और मॉनिटरिंग पहले से ही सवालों में हैं। न केवल नाहरगढ़ बायो पार्क बल्कि प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में लगातार हो रही वन्यजीवों की मौत को लेकर वन विभाग लगातार लीपापोती करने में लगा हुआ है। किसी भी अधिकारी पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पूर्व जब सफेद बाघिन रंभा और उसके दोनों शावकों की मौत हुई थी, उस समय भी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
कम है सफेद बाघों की संख्या
आपको बता दें कि देश में वैसे ही सफेद बाघों की संख्या काफी कम है। एक लाख बाघ में एक ही सफेद बाघ पैदा होता है। नाहरगढ़ बायो पार्क में राजा से पूर्व सफेद बाघिन रंभा और उसके दोनों शावकों की मौत भी हो चुकी है। राजा की मौत के साथ ही प्रदेश में अब एक भी सफेद बाघ नहीं बचा है।

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