केन्द्रीय आलाकमान ने जब वसुंधरा समर्थक नेताओं के नामों पर सहमति नहीं दिखाई तो इस खेल में भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी ने नया पेंतरा चल दिया और कह डाला कि गजेन्द्र शेखावत के प्रदेशाध्यक्ष बनने से जाट वोट नाराज हो जाएंगे तो अर्जुनराम मेघवाल अपने समाज के 100 वोट भी नहीें दिला सकते। शेखावत के इस बयान ने प्रदेशाध्यक्ष का मामला और उलझा दिया। इसके बाद वसुंधरा खेमे की ओर से कुछ विधायक और मंत्री राजेन्द्र राठौड, प्रभुलाल सैनी, राजपाल सिंह शेखावत आदि दिल्ली चले गए और उन्होंने भी शेखावत और मेघवाल का विरोध शुरु कर दिया। इसके बाद हरकत में आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में संगठन महामंत्री रामलाल के साथ बैठक की। रामलाल ने विधायकों और मंत्रियों को लाबिंग करने के लिए डांट लगाई और वापस लौटने के लिए कह दिया
इधर भाजपा अध्यक्ष का मामला उलझता जा रहा था इस बीच गुरूवार को सीएम वसुंधरा राजे खुद दिल्ली चली गई और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और उसमें कहीं हद तक सहमति बनी कि इस पद को अभी कुछ समय तक खाली रखा जाए। इससे लगा कि अमित शाह कहीं ना कहीं वसुंधरा राजे की राय से सहमत होते दिखे हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई