टीबी फैलाने वाला अति सुक्ष्म जीवाणु माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलाई साधारण बीमारियों से प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ले तो उसे एमडीआर टीबी कहते हैं। इसका इलाज 24 महीनों तक सैकंड लाइन दवा से होता है। यदि टीबी का जीवाणु सैकंड लाइन दवा से भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ले तो उसे एक्सडीआर टीबी कहा जाता है। संस्थान के डॉ. जीएस राजावत का कहना है टीबी का पूरा उपचार इस समय मौजूद है। पूरी दुनिया के एक चौथाई मरीज भारत में है।
डॉ. खिप्पल के अनुसार पहले एमडीआर टीबी जांच के लिए कल्चरल सेंसेटिविटी की रिपोर्ट दो से तीन महीने में आती थी। जिसके कारण मरीज के उपचार में देरी होती थी। इसका इलाज भी 18 से 24 महीनों तक चलता था। अब एमडीआर टीबी की जांच व इलाज दोनों आसान होंगे।