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जयपुर

18 के बजाय अब केवल 9 महीने में होगा एमडीआर टीबी मरीजों का इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन: प्रारंभिक इलाज में इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं, 25 हजार मरीज राजस्थान में इस प्रकार की टीबी के

जयपुरMar 25, 2019 / 10:56 am

Mridula Sharma

विकास जैन/जयपुर. टीबी की गंभीर स्थिति एमडीआर टीबी से पीडि़त मरीजों को अब उपचार में करीब आधा ही समय लगेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई गाइडलाइन के अनुसार अल्पकालीन ड्रग रेजिस्टेंस थैरेपी अब दीर्घकालिक ड्रग रेजिस्टेंस थैरेपी से अधिक कारगर है। अल्पकालीन थैरेपी की शुरुआत में 4 माह तक सैकंड लाइन 4 दवाइयां और दूसरे चरण में 5 माह तक 4 दवाइयां दी जाएंगी। शॉर्टर थैरेपी 90 प्रतिशत, जबकि दीर्घकालिक थैरेपी 78 प्रतिशत मरीजों में असरकारी पाई गई। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ नरेन्द्र खिप्पल के अनुसार प्रारंभिक टीबी के इलाज में पहले इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन की अब आवश्यकता नहीं है। माना गया है कि इससे साइड इफेक्ट कम होंगे। राजस्थान में यह इलाज शुरू हो चुका है।
यह है एमडीआर टीबी
टीबी फैलाने वाला अति सुक्ष्म जीवाणु माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलाई साधारण बीमारियों से प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ले तो उसे एमडीआर टीबी कहते हैं। इसका इलाज 24 महीनों तक सैकंड लाइन दवा से होता है। यदि टीबी का जीवाणु सैकंड लाइन दवा से भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ले तो उसे एक्सडीआर टीबी कहा जाता है। संस्थान के डॉ. जीएस राजावत का कहना है टीबी का पूरा उपचार इस समय मौजूद है। पूरी दुनिया के एक चौथाई मरीज भारत में है।
दो तीन-महीने में आती थी रिपोर्ट
डॉ. खिप्पल के अनुसार पहले एमडीआर टीबी जांच के लिए कल्चरल सेंसेटिविटी की रिपोर्ट दो से तीन महीने में आती थी। जिसके कारण मरीज के उपचार में देरी होती थी। इसका इलाज भी 18 से 24 महीनों तक चलता था। अब एमडीआर टीबी की जांच व इलाज दोनों आसान होंगे।
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