लॉकडाउन में प्रताडऩा के मामले बढ़े, कौन सुनेगा साढे तीन करोड़ महिलाओं की पीड़ा?
जयपुरPublished: May 29, 2020 12:25:38 am
– राज्य महिला आयोग का हाल-बेहाल : अध्यक्ष का पद ढाई साल से रिक्त – कार्यालय समय के बाद नहीं उठता फोन, ई-मेल पर भी समय पर जवाब नहीं
जयपुर। लॉकडाउन के दौरान वैश्विक स्तर पर महिलाओं के साथ प्रताडऩा के मामले तेजी से बढ़े हैं, लेेकिन प्रदेश में साढ़े तीन करोड़ महिलाओं की सुनने वाला कोई नहीं है। दरअसल, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष का पद पिछले ढाई साल से खाली है, सदस्यों के पद भी दो साल से रिक्त हैं। महिला आयोग में केवल सदस्य सचिव के पद पर अल्पा चौधरी तैनात है। लॉकडाउन के दौरान महिलाएं अपनी पीड़ा लेकर आयोग कार्यालय तक पहुंच नहीं पा रही हैं और न ही आयोग उन तक पहुंचने के कोई प्रयास दिखा रहा है। आयोग की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शाम 5 बजे बाद कार्यालय का फोन ही नहीं उठता। ई-मेल पर भी समय पर जवाब नहीं मिलता।
लॉकडाउन के दौरान एक महीने तक नहीं देखी गई ई-मेल
सूत्रों के अनुसार लॉकडाउन के शुरुआती एक महीने में तो आयोग की ई-मेल ही नहीं खोली गई। उस पर कितनी शिकायतें आई, कौन-सी शिकायत किस संबंध में थी, इसकी सुध ही नहीं ली गई। दरअसल, इस दौरान सरकारी दफ्तर बंद थे। अधिकारी या कर्मचारी ने एक महीने तक ई-मेल को ओपन करके शिकायतें भी नहीं देखी। 20 अप्रेल के बाद दफ्तर खुले तो महीने भर में आई 400-500 ई-मेल देखी गई।
हेल्पलाइन भी जिला प्रशासन के अधीन
महिला आयोग के तहत पहले हेल्पलाइन चलाई जा रही थी। लेकिन, 181 नबंर की राज्य सरकार की हेल्पलाइन आने के बाद महिला आयोग की हेल्पलाइन जिला प्रशासन के अधीन हो गई। हालांकि, आयोग के कार्यालय में होने के कारण मॉनिटरिंग आयोग के अधिकारी कर लेते हैं। मगर सीधे तौर पर आयोग के पास उसकी कोई हेल्पलाइन भी नहीं है।